गर्म पानी, काढ़ा व भांप से रिमझिम ने जीत ली कोरोना से जंग
मोतिहारी। कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हो रही है। जिले के अधिकतर भाग तक कोरोना
मोतिहारी। कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हो रही है। जिले के अधिकतर भाग तक कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी है। खासकर जिला मुख्यालय मोतिहारी के अधिकतर मुहल्ले इसकी चपेट में हैं। संक्रमण की चपेट में आकर कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं तो कई होम क्वारंटाइन हैं। वहीं अपनों से दूर और घर की चहारदीवारी में कैद होकर कई लोगो ने सकारात्मक सोच और अनुशासन के जरिए बीमारी और इससे उपजे तनाव से लड़कर जिदगी की जंग जीत ली है।
इस महामारी को मात देकर आज पूरी तरह सामान्य जिदगी जी रहीं रिमझिम बताती हैं कि वह अजीब सा दौर था। एक दिन अचानक से काफी बुखार आया। सिर दर्द से फटा जा रहा था। परिवार वालों की सलाह पर जब उन्होंने अपना टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट पॉजिटिव थी। एक पल तो वह काफी घबरा गई थी। खुद से ज्यादा उन्हें अपने चार वर्षीय पुत्र की चिता थी, जो उनके बगैर एक पल भी नही रह सकता था। चिकित्सकों के सलाह पर उन्होंने घर में ही एक अलग कमरे में खुद को आइसोलेट कर लिया। बगल से जब बेटे के रोने की आवाज आती तो उनकी आंखों में भी आंसू आ जाते थे। एक दीवार का फासला उनके लिए काफी भारी पड़ रहा था। दिन बीतने के साथ उन्होंने परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बैठा लिया। मोबाइल पर वीडियो कॉल के माध्यम से बेटे को देखकर खुद को तसल्ली देती रहीं रही। रिमझिम बताती हैं कि उन्होंने तब पूरी तरह आयुर्वेद व घरेलू उपचार पर विश्वास किया। सिर्फ गर्म पानी ही पीती थी। सुबह दोपहर व शाम में गर्म पानी का भांप लेती थी। घर मे बना काढा पीती थी। बुखार रहने पर अंग्रेजी दवा पैरासिटामोल का सेवन करती थी। सुबह व रात में हल्दी व नमक मिला पानी से गरारे करती थी। आइसोलेशन के दौरान उन्होंने सिर्फ शाकाहारी भोजन लिया। रात को हल्दी के साथ दूध का सेवन करती रही। खुद पर भरोसा रखा और सकारात्मक सोच के साथ सुबह-शाम अनुलोम-विलोम करती रही। कुछ रिकवरी होने पर कमरे में ही नियमित वॉकिग शुरू की। इस तरह से हफ्ता दिन के अंदर ही उन्हें बेहतर महसूस होने लगा। सातवें दिन टेस्ट करवाने पर रिपोर्ट नेगेटिव आई तो उन्हें काफी सुकून मिला। हालांकि लड़ाई कुछ दिन और चलने वाली थी। चिकित्सकों की सलाह पर उन्होंने आगे कुछ दिन और भी एकांत में ही बिताया। बाद में पूरी तरह फिट होने पर वो अपने परिवार के पास लौट आईं। आइसोलेशन से वापस आने के बाद जब उन्होंने पहली बार बेटे को गले लगाया तो फफक कर रो पड़ी थी। रिमझिम बताती हैं कि बीमारी के दौरान घबराने की जरूरत नहीं। खुद पर विश्वास रखें और सकारात्मक सोच के साथ अपनी दिनचर्या जारी रखें। मरीज और परिवार के लिए यह दवा से ज्यादा जरूरी मंत्र है।
इनसेट
हां, मैंने कोरोना को हराया है ..
कोरोना की दूसरी लहर एक बड़ी चुनौती बनकर फिर हमारे सामने है। उम्मीद ही नहीं, पूरा विश्वास है कि अपने आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति के बूते एक बार फिर हम इसे हराएंगे। इस समय कोरोना से जूझ रहे लोगों को उन लोगों का आत्मविश्वास संबल देगा, जो इसे हरा चुके हैं। अगर आपने अस्पताल या होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना को हराया है तो आप हमें उसका अनुभव 9852412770 पर फोन कर या वाट्सएप कर बताएं। हम प्रकाशित करेंगे।