गोपाल साह विद्यालय में प्लस टू की प्रयोगशाला तो है मगर विद्यार्थी नहीं

मोतिहारी। विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था अब तक पटरी पर नहीं आ सकी है। इसका ठीकरा कोरोना के सिर ही फोड़ा जा रहा है। पता नहीं यह स्थिति कब तक बनी रहेगी। शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा संचालन से लेकर प्रयोगशाला के उपयोग पर खासा बल दिया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 11:56 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 11:56 PM (IST)
गोपाल साह विद्यालय में प्लस टू की प्रयोगशाला तो है मगर विद्यार्थी नहीं
गोपाल साह विद्यालय में प्लस टू की प्रयोगशाला तो है मगर विद्यार्थी नहीं

मोतिहारी। विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था अब तक पटरी पर नहीं आ सकी है। इसका ठीकरा कोरोना के सिर ही फोड़ा जा रहा है। पता नहीं यह स्थिति कब तक बनी रहेगी। शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा संचालन से लेकर प्रयोगशाला के उपयोग पर खासा बल दिया जा रहा है। मगर उनका उपयोग तो तब होगा जब विद्यालय में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति होगी। तमाम कोशिशों के बाद भी विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति सामान्य नहीं हो पा रही है। अगर प्लस टू के विद्यार्थियों की बात करें तो वे नामांकन के बाद परीक्षा प्रपत्र भरने के लिए ही अपने विद्यालय में जाना जरूरी समझते हैं। इससे पहले प्लस टू की कक्षाएं सूनी ही रहती हैं। इसके पीछे कारण क्या है, समझ से परे है। शिक्षक इसमें अभिभावकों की लापरवाही को कारण बताते हैं। बुधवार को दैनिक जागरण की टीम ने मोतिहारी के गोपाल साह प्लस टू स्कूल का जायजा लिया। आमतौर पर यह विद्यालय अपनी बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए जाना जाता है। उम्मीद थी कि अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति देखने को मिलेगी। मगर ऐसा नहीं था। विद्यालय में शिक्षक तो थे मगर छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बेहद कम नजर आई। केवल कक्षा नौ के विद्यार्थी ही विद्यालय में थे। दसवीं के बारे में बताया गया कि चूंकि परीक्षा फॉर्म भरा चुका है, इसलिए वे अब घर पर ही तैयारी कर रहे हैं। जब इंटर की कक्षाओं के बारे में पूछा गया तो जानकारी मिली कि 12वीं के छात्रों का भी परीक्षा फॉर्म भरा जा चुका है। रही बात 11वीं की तो इस कक्षा के विद्यार्थी आते ही नहीं हैं। बुधवार को भी इनकी कक्षा खाली ही थी। अच्छी बात यह दिखी कि 9वीं कक्षा के विद्यार्थी अपने वर्ग कक्ष में पढ़ाई कर रहे थे। हमने वर्ग कक्ष में जाकर बच्चों से बातचीत की। प्रयोगशाला के उपयोग से लेकर विज्ञान की सैद्धांतिक पढ़ाई पर भी चर्चा हुई। कुछ हल्के फुल्के प्रश्न भी पूछे। ज्यादातर छात्राओं ने सही उत्तर दिया। इसके बाद स्मार्ट क्लास को देखा। वहां भी कक्षा संचालन हो रहा था। मगर वहां भी कक्षा नौ की छात्राएं मिलीं। डेजी खातुन, प्रीति कुमारी, दीक्षा कुमारी, सुफिया परवीन, नंदिनी कुमारी आदि छात्राओं ने बताया कि वे प्रयोगशाला का भी उपयोग करती हैं। उन्हें प्रयोग से संबंधित बेसिक जानकारी शिक्षकों द्वारा दी जाती है। इसके बाद हमने प्रयोगशाला का भी रूख किया। उसकी हालत बता रही थी कि लंबे समय से इसका उपयोग नहीं हुआ है। प्रयोगशाला में चारों ओर धूल ही धूल दिखे। टेबल पर भी गर्द की परत नजर आई जो इस बात की गवाही दे रहे थे कि हाल के दिनों में इसका उपयोग नहीं हुआ है। वहां मौजूद विज्ञान के शिक्षक अजय राज ने बताया कि मैट्रिक व इंटर दोनों के लिए फिलहाल यही एक प्रयोगशाला है। उनका कहना था कि बच्चे प्रयोगशाला में आते हैं और उन्हें प्रयोग के बारे में बताया जाता है। अब अगर इंटर के विद्यार्थियों की बात करें तो उनके लिए विद्यालय में कोई विज्ञान के शिक्षक ही नहीं हैं। गणित के लिए एक अतिथि शिक्षक हैं। रही बात प्रैक्टिकल की तो जब छात्र-छात्राएं आती ही नहीं हैं तो कैसा प्रयोग और काहे का प्रयोगशाला। प्रधानाध्यापक के बारे में पूछे जाने पर सहायक शिक्षक सुशील कुमार तिवारी ने बताया कि वे अवकाश पर हैं। प्रभार में शिक्षक जमील अख्तर हैं। मगर वे जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होने एमजेके स्कूल गए हैं।

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