व्यवस्था से खिन्न कोटवा पीएचसी में अब एक पल भी रहना नहीं चाहती प्रभारी डॉ. नुरूला

मोतिहारी । कोटवा पीएचसी में थोड़ा बहुत नहीं बहुत कुछ गड़बड़ है। आलम यह है कि वहां की प्रभारी को अब वहां एक पल भी रहना गंवारा नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 11:15 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 11:15 PM (IST)
व्यवस्था से खिन्न कोटवा पीएचसी में अब एक पल भी रहना नहीं चाहती प्रभारी डॉ. नुरूला
व्यवस्था से खिन्न कोटवा पीएचसी में अब एक पल भी रहना नहीं चाहती प्रभारी डॉ. नुरूला

मोतिहारी । कोटवा पीएचसी में थोड़ा बहुत नहीं, बहुत कुछ गड़बड़ है। आलम यह है कि वहां की प्रभारी को अब वहां एक पल भी रहना गंवारा नहीं है। व्यवस्था से खिन्न पीएचसी प्रभारी डॉ. शीतल नरूला पिछले कई दिनों से छुट्टी पर हैं। वे किसी भी सूरत में अब वहां काम पर जाना नहीं चाहती है। इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी से लेकर सिविल सर्जन तक को पत्र भेजकर बता दिया है। पूछने पर उन्होंने इसकी पुष्टि की। बताया कि कोटवा पीएचसी में कार्य करना अब बिल्कुल संभव नहीं है। उन्होंने अपनी जान पर भी खतरा बताया।

कहा कि 20 अक्टूबर यानी बुधवार को वे छुट्टी से जरूर लौट आएंगी, लेकिन कोटवा पीएचसी जाने के बजाय वे कहीं अन्यत्र से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगी। यहां बता दें कि डॉ. नरूला को तीन अगस्त को कोटवा पीएचसी का प्रभारी बनाया गया था। उनका दावा है कि तब पीएचसी की हालत बदहाल थी। उन्होंने जब वहां की व्यवस्था में सुधार के लिए कवायद शुरू की तो कुछ लोगों को यह नगावार गुजरा। पहले भी उनके वाहन का पीछा किया गया। कई बार उनके वाहन को दुर्घटनाग्रस्त कराने की भी कोशिश की गई है। अस्पताल से हटाए गए कुछ कर्मियों ने आकर हंगामा भी किया। इसको लेकर स्थानीय थाना में मामला भी दर्ज है, लेकिन अबतक पुलिस ने कोई भी कार्रवाई नहीं की है। व्यवस्था से नाराज डा नरूला बताती हैं कि उन्हें एक लिपिक के तौर पर कार्य करना मंजूर है लेकिन वे किसी भी परिस्थिति में कोटवा पीएचसी के प्रभारी के तौर पर कार्य नहीं करना चाहती। यहां बता दें कि गत 10 अक्टूबर को पीएचसी के करीब भारी मात्रा में सरकारी दवा झाड़ियों में फेंकी हुई पाई गई थी। तब सिविल सर्जन डा अंजनी कुमार ने पूरे मामले की जांच की बात कही थी। हालांकि, कतिपय कारणों से इस मामले में भी कोई कार्रवाई अबतक नहीं की जा सकी। वहीं इस बाबत प्रभारी डा नरूला का कहना है कि उन्होंने अपने स्तर से पीएचसी के स्टॉक का सत्यापन कराया तो वहां का स्टॉक पूरी तरह अपडेट है। उन्होंने षड्यंत्र के तहत दवा फेंके जाने की बात कही है।

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