हिचकोले से मिली निजात तो धूलकण बने जानलेवा

रक्सौल। वर्षो से जर्जर रक्सौल-छौड़ादानो नहर पथ पर चल रहे निर्माण कार्य के दौरान उड़ते धूलक

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 12:07 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 12:07 AM (IST)
हिचकोले से मिली निजात तो धूलकण बने जानलेवा
हिचकोले से मिली निजात तो धूलकण बने जानलेवा

रक्सौल। वर्षो से जर्जर रक्सौल-छौड़ादानो नहर पथ पर चल रहे निर्माण कार्य के दौरान उड़ते धूलकण हादसों को अंजाम दे सकते है। लंबे समय से हिचकोले लेकर चल रहे वाहनों को रफ्तार तो मिल गई है। लेकिन, इनकी तीव्र गति और उड़ते धूलकण लोगों के लिए खतरा बन सकते है। हालांकि सड़क निर्माण कंपनी के द्वारा पूर्व में सड़क पर बने तालाबनुमा गड्ढों को बराबर कर जीएसपी यानी पत्थर और मिट्टी मिला हुआ मेटेरियल डालकर केवल बराबर किया गया है। इस दौरान सड़क के ऊपर बिखरे पत्थर दो पहिया वाहनों के लिए खतरनाक साबित हो सकते है। चार पहिया या भारी वाहनों के चलने से भारी मात्रा में सड़क पर धूलकण उड़ने लगते है। जिसे दिन में ही अंधेरा सा दिखने लगता है। रास्ते पर धूलकण की एक परत जमने लगती है। जिसे पारदर्शिता कम हो जाती है। ऐसे में सामने से अगल-बगल से आ जा रहे वाहनों में टक्कर होने की संभावना अत्यधिक है। जो इस सड़क पर चलने वाले लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।

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क्या है समस्या सड़क निर्माण के दौरान धूलकण का उड़ना लाजमी है। लेकिन, पत्थर के साथ मिली हुई मिट्टी धूलकण के रूप में हवा में तैरते है। तब अचानक आंख के अंदर घूस जाते है। जिसे चालक छटपटा जाते है। ऐसे में यदि संतुलन बिगड़ता है तो खतरे की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है। इसके साथ ही सड़क किनारे लगे पेड़-पौधों के पत्तियों पर उड़ते हुए धूलकण की परतें जम गई है। जिसे पेड़-पौधों के जीवन पर भी खतरा महसूस हो रहा है। उनका रंग बदरंग हो गया है। यहां तक कि इस रास्ते से चलने वाले लोगों के कपड़े भी गंदे हो जा रहे है। गांवों से सब्जी लेकर बाजार पहुंचने वाले किसान भी धूलकण को लेकर परेशान है। खासकर सांस के रोगी, एजर्ली आदि से पीड़ित लोगों के लिए इस सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। इसके लिए लोग रास्ता अदल-बदल कर चल रहे है।

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समस्या का क्या है समाधान

उड़ते धूलकण की समस्या से निजात के लिए पानी का छिड़काव ही एक मात्र उपाय है। जबतक सड़क निर्माण कार्य पूरा नहीं हो जाता है पानी का छिड़काव एक अंतराल पर नियमित होना चाहिए। लेकिन समय-समय पर नहीं हो रहा है। जिसे लोगों की परेशानी बढ़ गई है।

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उड़ते धूलकण के कारण एक दर्जन से अधिक लोग हो चुके है चोटिल रक्सौल-छौड़ादानो नहर पथ पर वाहनों की आवाजही होती रहती है। यह सड़क सीमावर्ती प्रखंड के गांवों को रक्सौल अनुमंडल एवं मोतिहारी को जोड़ती है। जिसे प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग सफर करते है। बीते दीवाली के समय रक्सौल के दो युवक धूलकण की चपेट में आकर सायफन में गिर गए थे। जिन्हें राहगीरों उठाकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया था। वहीं उनकी बाइक क्षतिग्रस्त हो गई थी। हालांकि चोटिल दोनों युवक उपचार के बाद ठीक हो गए है। अबतक ऐसे दर्जनों मामले सामने आ चुके है। बावजूद इसके निर्माण कंपनी नियमित रूप से पानी का छिड़काव नहीं कर रही है। इस संबंध में पूछे जाने पर निर्माण कार्य कर रही पीएनपीसी कंपनी के कर्मी जेएन मौर्या ने दूरभाष पर बताया कि पानी का छिड़काव कराया जा रहा है। इनदिनों नहर में पानी नहीं है। बोरिग की समस्या है। फिरभी प्रयास है कि समय-समय पर पानी का छिड़काव होते रहे।

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