विक्षुब्ध पार्षद पहुंचे पटना, नगर विकास प्रधान सचिव से मिलकर सौंपा ज्ञापन
मोतिहारी। नगर निगम के मुख्य पार्षद पर लगाए गए अविश्वास मामले को नगर विकास और आवास विभाग द्वार
मोतिहारी। नगर निगम के मुख्य पार्षद पर लगाए गए अविश्वास मामले को नगर विकास और आवास विभाग द्वारा खारिज करने के बाद विक्षुब्ध पार्षदों का दल पटना पहुंच गया। इस दौरान इन पार्षदों ने नगर विकास प्रधान सचिव से मिलकर अपना पक्ष रखा और ज्ञापन सौंपा। प्रधान सचिव और विधि विभाग के सचिव को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि विभाग द्वारा भेजे गए पत्र में धारा 12 (8) एवं 25 (4) के आलोक में कार्यकाल के बचे शेष 6 माह के अन्दर अविश्वास नहीं लाया जा सकता है यह बात भ्रामक और दिग्भ्रमित करने वाली है। जबकि वास्तविकता यह है कि नगरपालिका अधिनियम 2007 के अनुसार किसी भी निर्वाचित स्थानीय सरकार का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है। विक्षुब्ध गुट ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि चुकि वर्त्तमान सरकार का गठन 09 जून 2017 को हुआ था जिसका पांच वर्षों का कार्यकाल दिनांक 08 जून 2022 को पूरा हो रहा है। इसलिए किन आधारों पर यह कहा जा रहा है कि वर्तमान नगर निकाय की सरकार का कार्यकाल छह महीने से भी कम की अवधि का बचा हुआ है। सच तो यह है कि वर्त्तमान स्थानीय सरकार का कार्यकाल लगभग 10 माह की अवधि का बचा है। इस संदर्भ में कई अधिवक्ताओं से भी परामर्श लिया गया है। अधिवक्ताओं द्वारा भी धारा 12 (8) को नवगठित नगर निकायों के संदर्भ में लागू बताया गया है ना कि उत्क्रमित नगर निकायों के संबंध में। वर्त्तमान के कई नए उत्क्रमित नगर निकायों में अविश्वास की प्रक्रिया चल रही है या विगत हफ्ते चल चुकी है। ऐसे में विक्षुब्ध पार्षदों ने क्षोभ व्यक्त करते हुए उचित न्याय की मांग की है। न्याय ना मिलने की स्थिति में हम सभी पार्षदगण लोकतंत्र की हत्या को लेकर न्यायपालिका जाने को बाध्य होने की बात कही है। दिए गए आवेदन पर विधि विभाग के सचिव ने महाधिवक्ता के मंतव्य हेतु भेजे जाने की बात कहते हुए यथाशीघ्र अपना निर्णय देने की बात कही।