नेपाल में संसद की बहाली पर जले दीप, मनी खुशियां

मोतिहारी। नेपाल सर्वोच्च न्यायालय ने संसद को पुन बहाल करने का फैसला मंगलवार की देर संध्या दिय

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 12:57 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 12:57 AM (IST)
नेपाल में संसद की बहाली पर जले दीप, मनी खुशियां
नेपाल में संसद की बहाली पर जले दीप, मनी खुशियां

मोतिहारी। नेपाल सर्वोच्च न्यायालय ने संसद को पुन: बहाल करने का फैसला मंगलवार की देर संध्या दिया। फैसले की सूचना मिलते ही नेपाल के विपक्षी दलों में खुशी की लहर दौड़ गई। रक्सौल अनुमंडल से सटे पर्सा और बारा जिला में लोंगो ने दीप प्रज्वलित कर न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। नेकपा प्रचंड-माधव समूह निकट राष्ट्रीय युवा संघ व छात्र संगठनों ने वीरगंज घंटाघर चौराहा और अन्य स्थानों पर दीप प्रज्वलन किया। मधेशवादी दलों के केंद्रीय सदस्य जुबेर आलम की अध्यक्षता में दीप प्रज्वलन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें प्रदेश कमेटी सदस्य छोटेलाल यादव, रामदरश कुशवाहा, रामबाबू बैठा, जिला सदस्य प्रभाकर गुप्ता, समीर आलम, टुनटुन तिवारी, सुरेन्द्र गुप्ता, युवा संघ के केंद्रीय सदस्य अरुण यादव, केंद्रीय सदस्य शिवम साह, युवा संघ वीरगंज महानगर अध्यक्ष उमेश ठाकुर आदि नेताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन युवा संघ नगर प्रभारी पिन्टु रौनियार ने किया। नेकपा के नेताओं ने सर्वाेच्च अदालत के निर्णय को ऐतिहासिक बताया। कहा कि इस फैसले से संविधान की रक्षा हुई है। इसके उपरांत नेताओं ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया। कहा कि सर्वाेच्च के द्वारा संसद पुर्नस्थापना के निर्णय से संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र की रक्षा हुई है। इसके अलावे इस निर्णय को नेपाल के साढ़े तीन करोड़ जनता की जीत बताया। बता दें कि करीब चार माह पूर्व नेपाल के राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के द्वारा दिये गये प्रस्ताव के आलोक में सदन को भंग कर दिया था। जिससे नेपाल राजनैतिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई थी। प्रधानमंत्री श्री ओली ने मध्यावधि चुनाव के समय की घोषणा कर दी थी। इसको लेकर नेपाल के विभिन्न जिलों में चरणबद्ध आंदोलन शुरू हो गया था। फैसला आते ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अलर्ट किया गया है। प्रधानमंत्री श्री ओली ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर विशेष सतर्कता का आदेश दिया है।

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सर्वोच्च अदालत ने किया खारिज सर्वोच्च अदालत ने प्रतिनिधिसभा (संसद्) पुनस्र्थापना का फैसला किया है । प्रधान न्यायाधीश चोलेन्द्र शमशेर जबरा, न्यायाधीश विश्वम्भर प्रसाद श्रेष्ठ, अनिल कुमार सिंहा, सपना प्रधान मल्ल, तेजबहादुर केसी संयुक्त रूप से संवैधानिक इजलास ने प्रतिनिधि सभा विघटन करने का आदेश को खारिज कर दिया है । संसद पुनस्र्थापना के साथ साथ सर्वोच्च अदालत ने अब 13 दिनों के भीतर ही संसद का अधिवेशन बुलाने के लिए आदेश दिया है। स्मरणीय रहे बीते जनवरी माह में प्रधानमंत्री केपीशर्मा ओली द्वारा सिफारिश होने पर राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी संसद विघटन किया था । संसद विघटन होते ही आगामी मई माह में आम निर्वाचन के तिथि की घोषणा की गई थी। लेकिन संसद विघटन को असंवैधानिक मानते हुए नेकपा के ही एक समूह और संसद में प्रतिनिधित्व करनेवाले राजनीतिक पार्टी सड़क संघर्ष पर उतर आए थे। संसद को पुन: बहाल कर दिया है। जिसके उपरांत प्रधानमंत्री ओली के बदले देश में नयां प्रधानमन्त्री की संभावना बढ़ गई है। संसद पुन:स्थापना को नेकपा के ही प्रचंड और माधव खेमे के लोंगो के अलावें प्रमुख प्रतिपक्षी दल नेपाली कांग्रेस एवं अन्य दलों ने स्वागत किया है।

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