बाढ़ में ध्वस्त पुलिया का नहीं हो सका निर्माण, चचरी पुल बना आवागमन का साधन

तीन वर्ष पूर्व आदापुर प्रखंड क्षेत्र के जमुनबहार गांव से इस्लामपुर जानेवाली सड़क को जोड़नेवाली पुलिया बाढ़ में ध्वस्त हो गई। जिसपर आजतक एक पुल का निर्माण नहीं हो सका है। हालांकि इस गांव के लोग चचरी का पुल बनाकर आवागमन कर रहे हैं। लेकिन विडंबना यह है कि इस गांव में डोली दरवाजे तक नहीं पहुंच पाती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 01:43 AM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 05:15 AM (IST)
बाढ़ में ध्वस्त पुलिया का नहीं हो सका निर्माण, चचरी पुल बना आवागमन का साधन
बाढ़ में ध्वस्त पुलिया का नहीं हो सका निर्माण, चचरी पुल बना आवागमन का साधन

मोतिहारी । तीन वर्ष पूर्व आदापुर प्रखंड क्षेत्र के जमुनबहार गांव से इस्लामपुर जानेवाली सड़क को जोड़नेवाली पुलिया बाढ़ में ध्वस्त हो गई। जिसपर आजतक एक पुल का निर्माण नहीं हो सका है। हालांकि इस गांव के लोग चचरी का पुल बनाकर आवागमन कर रहे हैं। लेकिन, विडंबना यह है कि इस गांव में डोली दरवाजे तक नहीं पहुंच पाती है। जिससे लोगों में काफी आक्रोश है। यहां की आबादी करीब एक हजार है। फिर भी विकास की किरण यहां तक नहीं पहुंच सकी है। इस विधानसभा चुनाव में खासकर इस क्षेत्र के लोगों ने इसे चुनावी मुद्दा बना दिया है। जो इस गांव को पुल देगा, यहां की जनता उसी को वोट देने का मन बना रही है। हालांकि सरकार सबका साथ सबका विकास को मूल मंत्र मानकर मुख्यमंत्री जल, नल व गली नली योजना अंतर्गत गांव के हर गली व नली के विकास के लिए पैसा खर्च कर रही है। लेकिन, प्रखंड की औरैया पंचायत के जमुनबहार गांव से इस्लामपुर होते भारत-नेपाल सीमा तक जाने वाली सड़क अभी भी बदहाल है। दो वर्ष पूर्व पसाह नदी में आई बाढ़ ने इस्लामपुर टोला में रहने वाले लोगों के बीच भयंकर तबाही मचाई थी। तब तो लोग बच गए थे। लेकिन, बाढ़ से उत्पन्न दर्द से लोग आज भी कराह रहे हैं। यहां के लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर विधायक तक अपने दर्द को बयां किया। परंतु, किसी ने इनकी नहीं सुनी। मजबूरी में लोग चंदा इकट्ठा कर बांस की चचरी की पुलिया बनाकर आते-जाते हैं। ग्रामीण नसरुल्लाह मियां, मजीद मियां, कुरान मियां, सरमुल्लाह मियां, फुलमहम्मद मियां, रहमत अली से मुलाकात हुई। इन लोगों का कहना है कि हमलोगों के पूर्वज वर्षो से यहां घर बनाकर रह रहे हैं । प्रत्येक वर्ष पसाह नदी का कोपभाजन हम सभी को होना पड़ता है। हल्की वर्षा हुई नहीं कि नदी का पानी गांव को अपने घेरे में ले लेता है। यहां करीब 30 परिवार रहते हैं। आज तक इस सड़क पर केवल पुलिया बनी थी। 3 वर्ष पूर्व 2017 जब पसाह नदी में बाढ़ आई तो तेज पानी की धार से पुल ध्वस्त हो गया। फिर दोबारा पुल नहीं बन सका, और परेशानियां सिर चढ़ कर बोलने लगीं। इस बीच सीमा पर बन रही सैनिक सड़क से और परेशानी में बढ़ गई। पहले पानी आसानी से निकल जाता था । किंतु, आज पानी ठहर जाने से जीवन कष्टमय हो गया है। स्थिति यह है कि एक तरफ पसाह नदी का बांध तो दूसरी तरफ सीमा सड़क का निर्माण होने के कारण दोनों के बीचों बीच में टापू बन चुके इस्लामपुर टोला में आने -जाने के लिए फिलहाल महज बांस का चचरी ही एक सहारा है। जिसे मुश्किल से पैदल तो पार किया जा सकता है, लेकिन बुजुर्ग व बच्चों की जान पर हमेशा खतरा रहता है। बाइक लेकर जाना तो नामुमकिन ही है। इस बाबत सभी जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों का कई बार उक्त समस्या की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया। परंतु, कोई ठोस निदान नहीं हो सका। इस संबंध में जब बीडीओ आशीष कुमार मिश्र से जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि इस समस्या का निदान हमारे स्तर से नहीं हो सकता। जिले के वरीय अधिकारी ही समाधान कर सकते हैं।

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