धूलकणों के कारण बढ़ सकती हैं सांस संबंधी तकलीफें

मोतिहारी । हवा में धूलकणों की मात्रा अब तो हद पार करने लगी है। खासकर शहरों में धूलकणों के कारण लोग

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Dec 2018 01:14 AM (IST) Updated:Sat, 15 Dec 2018 01:14 AM (IST)
धूलकणों के कारण बढ़ सकती हैं सांस संबंधी तकलीफें
धूलकणों के कारण बढ़ सकती हैं सांस संबंधी तकलीफें

मोतिहारी । हवा में धूलकणों की मात्रा अब तो हद पार करने लगी है। खासकर शहरों में धूलकणों के कारण लोग खासे परेशान हो रहे हैं। बड़े पैमाने पर हो रहे भवन निर्माण के दौरान उड़ रहे धूलकणों के कारण वातावरण लगातार प्रदूषित हो रहा है। इसका दुष्प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। इन दिनों गांव से लेकर शहर तक सड़कों का भी तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है। इस दौरान उड़ने वाले धूलकण सीधे हवा में मिलकर लोगों की समस्या को बढ़ा रहे हैं। निर्माण कार्य के दौरान इनसे बचाव के लिए निर्धारित नियमों का अक्षरश: पालन भी नहीं हो रहा है। परिणामस्वरूप समस्या बढ़ती ही जा रही है। खासकर लोगों में इस वजह से सांस की तकलीफ भी बढ़ती जा रही है। स्थिति ऐसी हो रही है कि समस्या के निदान के लिए चिकित्सकों के पास भी जाना पड़ रहा है। बढ़ रहा है मास्क का उपयोग

प्रदूषित हवा से बचाव के लिए अब लोगों के बीच मास्क का प्रयोग बढ़ने लगा है। स्वाभाविक रूप से इसकी बिक्री भी बढ़ गई है। हालांकि मास्क खरीदने वाले यह कम ही जानते हैं कि कौन सा मास्क उनके लिए फायदेमंद है। आमतौर पर जो मिला खरीद लिए की तर्ज पर इसकी खरीददारी हो रही है। दुकानों से लेकर फुटपाथ तक इनकी उपलब्धता है। लड़कियों द्वारा मुंह को ढकने के लिए जिन कपड़ों (स्टॉल) का प्रयोग किया जा रहा है वह इस समस्या से बचाव में कारगर है या नहीं, उन्हें नहीं पता। बस प्रचलन को देखते हुए उपयोग कर रही हैं। चांदमारी की रीना जो कॉलेज स्टूडेंट हैं ने बताया कि स्टॉल के प्रयोग से चेहरे को धूल से हम काफी हद तक बचा लेते हैं। वहीं, अगरवा की चांदनी कुमारी ने कहा कि स्टॉल के प्रयोग से फायदा तो है ही। इसका प्रचलन भी काफी बढ़ गया है। प्रदूषित हवा से बचाव हो रहा है या नहीं, यह हमें नहीं पता। बढ़ रही हैं सांस की तकलीफें

प्रदूषित हवा के कारण लोगों की परेशानी भी अब हद पार करने लगी है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं सामने आ रही हैं। खासकर सांस में तकलीफ की शिकायत आम हो चली है। चिकित्सकों के पास आने वाले ऐसे मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। संक्रमण के कारण अन्य कई तरह की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। स्कूल आने-जाने वाले बच्चे भी परेशान हैं। नहीं है कोई प्रशासनिक अंकुश

किसी भी निर्माण कार्य के दौरान मानकों के पालन के लिए दिशा-निर्देशों के अनुसार काम करना आवश्यक है। मगर ऐसा कम ही होता है। निर्माण कार्य के दौरान बरती जा रही लापरवाही के कारण लोगों की परेशानी बढ़ रही है। भवन का निर्माण हो या सड़क का, चारों ओर धूल के गुब्बार उड़ते देखे जा सकते हैं। इन पर अंकुश लगाने में प्रशासन भी बहुत गंभीर नहीं है। इस अनदेखी का खतरनाक परिणाम सामने आ रहा है। वर्जन :

हवा में धूलकणों के कारण सांस संबंधी समस्याएं सामने आती हैं। इसके कारण और कई तरह की परिशानी भी हो सकती है। संक्रमण से टीबी का भी खतरा रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित हो सकता है। छोटे बच्चे भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। इससे बचाव के लिए लोग मास्क का भी सहारा लेते हैं। इसके लिए थ्री लेयर मास्क ही कारगर होता है। लोग आमतौर पर फैंसी मास्क का उपयोग कर रहे हैं, जो लाभदायक नहीं है।

- डॉ. परमेश्वर ओझा, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी

================================================================== जर्जर सड़क एवं धूलकण से परेशान हैं लोग - धूलकण से व्यवसाय पर असर, मास्क लगाने को मजबूर हैं लोग, धूलकण से हो रहे बीमार

- फोटो : 14 एमटीएच 33 डुमरियाघाट, संस : थाना क्षेत्र के रामपुर खजुरिया चौराहे पर जर्जर सड़क की समस्या पिछले 12 वर्षो से लाइलाज बीमारी के समान बनी हुई है। इतने साल बीत जाने के बाद भी इसे ठीक करने की दिशा में कोई पहल होती दिखाई नहीं दे रही है। सड़क पर इतने बड़े-बड़े और जानलेवा गड्ढे हैं कि वाहनों की बात तो दूर पैदल पार करना भी मुश्किल होता है। बाकी का कसर सड़क पर उड़ रहे धूलकण पूरा कर रहे हैं। वाहनों के आने-जाने के दौरान हवा के झोंके से उड़ते धूलकणों ने यहां के लोगों के सामने मुश्किल स्थिति पैदा कर दी है। दुकानदारों का व्यवसाय चौपट हो रहा है। धूल की समस्या इतनी गंभीर है कि इससे बचने के लिए लोग मास्क लगाने को मजबूर है। एनएच-28 स्थित फ्लाईओवर के नीचे से लेकर फ्लाई ओवर के चारों तरफ के संपर्क पथ व एसएच-74 पर संग्रामपुर व केसरिया जाने वाले मार्ग में भी धूलकण की समस्या बराबर है। एक तरफ सड़क की जर्जरता तो दूसरी तरफ धूलकण की मार ने यहां के व्यवसायियों की कमर तोड़ दी है। कारण यह है कि सड़क किनारे के दुकानदारों के सारे सामान धूलकण से खराब हो रहे हैं। स्वयं दुकानदार कई तरह की बीमारियों का शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। सड़क की समस्या को लेकर स्थानीय प्रशासन कभी-कभार जन सहयोग से टूटी सड़क पर ईंट के टुकड़े भरवा देता है। एक-दो दिन तो कुछ राहत रहती है, परंतु जैसे ही बड़े वाहन वहां से गुजरते हैं ईंट के टुकड़े पीसकर डस्ट में तब्दील हो तबाही मचाना शुरू कर देते हैं। धूल से बचने के लिए लोग पानी का छिड़काव करते हैं, मगर वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान होता है। इस स्थिति को लेकर स्थानीय लोग डीएम, एसडीओ, बीडीओ, एमएलए एवं एमपी से भी फरियाद कर चुके हैं। यहां तक की पीएमओ, सड़क व परिवहन मंत्रालय एवं सीएम तक को ईमेल भेजा जा चुका है, मगर कोई पहल नहीं हो सकी है। अब लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस समस्या से निजात के लिए क्या किया जाए।

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