संक्रमण की चेन तोड़ने को लॉकडाउन जरूरी

देश के विभिन्न राज्यों में लगातार बढ़ रहे कोरोना के कहर को देखते हुए वहां की सरकारें लॉकडाउन व नाइट क‌र्फ्यू लागू कर रही हैं ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 11:27 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 11:27 PM (IST)
संक्रमण की चेन तोड़ने को लॉकडाउन जरूरी
संक्रमण की चेन तोड़ने को लॉकडाउन जरूरी

मोतिहारी । देश के विभिन्न राज्यों में लगातार बढ़ रहे कोरोना के कहर को देखते हुए वहां की सरकारें लॉकडाउन व नाइट क‌र्फ्यू लागू कर रही हैं ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। इस बीच बिहार सरकार ने भी राज्य में संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। यहां 5 मई से ही लॉकडाउन लागू हो गया है। पूर्वी चंपारण जिले में भी लॉक डाउन को लेकर प्रशासन ने सख्ती बढ़ा दी है। हालांकि लॉकडाउन लागू होने से यहां अर्थव्यवस्था की रफ्तार एक बार फिर से कुंद पड़ गई है। तकरीबन सभी तरह की व्यवसायिक गतिविधियां ठप हो गई हैं। हालांकि इसके बावजूद भी यहां के हर तबके के लोग लॉकडाउन को अभी के हालात में जरूरी कदम बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि संक्रमण के चेन को तोड़ने का फिलहाल यही एक रास्ता है।

ई. अंगद कुमार सिंह, होटल व्यवसायी : कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन काफी संक्रामक है। ऐसे में संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगाकर उचित कदम उठाया गया है। लॉकडाउन का असर होटल व्यवसाय पर भी पड़ रहा है। लेकिन फिलहाल लोगों को संक्रमण से बचाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। उम्मीद है जल्द ही हालात सामान्य होंगे। कौशल सिंह, समाजसेवी : कोरोना महामारी ने जिले में भी तबाही मचाना शुरू कर दिया है। संक्रमण अब गांवों तक पहुंचने लगा है। ऐसे में लॉकडाउन लगाया जाना जरूरी हो गया था। लोगो को भी बिना जरूरत घर से निकलने से परहेज करना चाहिए। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी काफी दबाव है। जरूरत है कि स्वास्थ्य व्यवस्था को और सु²ढ बनाकर बनाया जाए, ताकि संक्रमितों को समय पर सही इलाज मिल सके। चंदन कुमार, सचिव लायंस क्लब मोतिहारी : कोरोना महामारी ने अब अधिकांश घरों तक अपनी पहुंच बना ली है। इस बार इसका रूप काफी घातक हो चला है। आर्थिक गतिविधियों से ज्यादा जरूरी लोगो की सुरक्षा है। बिहार में लॉकडाउन लगाकर सरकार ने सही फैसला लिया है। जब तक संक्रमण के मामले कम नहीं हो जाते लॉकडाउन को प्रभावी रखना चाहिए। सरकार को गरीब व मजदूर तबके के लोगों की मदद के लिए भी अलग से रणनीति बनाने की जरूरत है, ताकि उन्हें भूखा न सोना पड़े।

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