कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं कालजयी : प्रो. रवि

मोतिहारी। मुंशी सिंह महाविद्यालय के स्मार्ट क्लास रूम में शनिवार को कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद क

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 12:11 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 12:11 AM (IST)
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं कालजयी : प्रो. रवि
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं कालजयी : प्रो. रवि

मोतिहारी। मुंशी सिंह महाविद्यालय के स्मार्ट क्लास रूम में शनिवार को कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर 'वर्तमान साहित्यिक सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य और कथाकार प्रेमचंद' विषयक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। संगोष्ठी में विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रवींद्र कुमार रवि, प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. एकबाल हुसैन, संयोजक प्रो. मृगेंद्र कुमार आदि ने दीप प्रज्वलित कर किया। इससे पूर्व मुख्य अतिथि द्वारा परिसर में स्थापित महापुरुषों की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा निवेदित की गई। अतिथियों का स्वागत हिदी विभागाध्यक्ष प्रो. मृगेंद्र कुमार ने अंगवस्त्रम, स्मृति चिन्ह एवं पुष्प गुच्छ देकर किया। इस अवसर पर बोलते हुए प्रो. रवींद्र कुमार रवि ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं कालजयी हैं और उनमें सर्वहारा एवं स्त्रियों की पीड़ा आज भी झांकती दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की बेशकीमती विरासत को हमें सहेजकर रखना होगा और यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि लोकनायक तुलसीदास के बाद सबसे अधिक पढ़े जानेवाले साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद हैं, जिनकी रचनाओं में आप अपने आप को तलाश सकते हैं। उन्होंने कथा साहित्य को स्वप्नलोक से उतार कर वास्तविकता के खुरदुरे धरातल पर ला खड़ा किया। प्रारंभ में डॉ. मृगेंद्र कुमार ने प्रेमचंद की भाषा चेतना की व्याख्या करते हुए अपना स्वागत संबोधन संपन्न किया। वहीं, जाने माने शायर गुलरेज शहजाद ने उन्हें हिदी उर्दू की साझा संपत्ति के रूप में स्थापित किया, तो युवा साहित्यकार डा. विनय कुमार सिंह ने उन्हें गरीबों के मसीहा के रूप में याद किया। जबकि डॉ. मधुबाला वर्मा ने उन्हें अबलाओं के उद्धारकर्ता के रूप में याद किया। इस क्रम में अशोक वर्मा ने एक सफल पत्रकार के रूप में प्रेमचंद का स्मरण करते हुए उनके द्वारा संपादित पत्र-पत्रिकाओं जागरण और हंस की चर्चा की। इस अवसर पर प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'कफन' पर आधारित फिल्म भी दिखाई गई। पूरे कार्यक्रम में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया गया। इस अवसर पर डॉ. एमएन हक, डॉ. यमुना राम, प्रो. अनूप वर्मा, डॉ. आरआर झा, डॉ. मनोरंजन सिंह, नीतेश कुमार, डॉ. अमित कुमार, डॉ. नरेंद्र सिंह, डॉ. मनीष झा, डॉ. राहुल कुमार, डॉ. शिखा राय, डॉ. विपुल वैभव, सुधीर कुमार राव, दिलीप कुमार, प्रमोद कुमार, शशिभूषण पांडेय, पूर्व कैडेट बालकरन सिंह सहित छात्र-छात्राएं एवं एनसीसी कैडेट्स मौजूद थे। अंत में कविताओं का दौर भी चला जिसमें डॉ. रवींद्र कुमार रवि और गुलरेज शहजाद ने अपनी रचनाओं को सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। समस्त कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य प्रो. अरुण कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन मनोविज्ञान विभाग की विदुषी दीक्षित ने किया।

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