नवजात शिशुओं की विकृतियों की पहचान कर बचाए गंभीर रोगों से : डॉ. गौरव
दरभंगा। राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह के पांचवें दिन मंगलवार को शिशु विभाग में नवजात की जन्मजात विकृतियों और नियोनेटल स्क्रीनिग पर शिशु रोग विभाग में कार्यशाला का आयोजन किया गया। डॉ. प्रशांत गौरव ने बताया कि फैसिलिटी लेवल पर जन्मजात विकृतियों और विसंगतियों को पहचानने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। शिशुओं के जन्म के समय भोजन नली का सही से नहीं बनना, शौच का रास्ता बंद होना, मेनिगोसिल, खतरनाक दिल की बीमारी आदि पर विशेष रूप से ध्यान देना जरूरी है। डॉ. रणधीर ने बताया कि जन्म के समय बच्चे के तलवे का एक बूंद को ब्लाटिग पेपर पर लेकर जांच में भेजे और इससे भविष्य में होने वाली बहुत सारी बीमारियों का पूर्वानुमान कर बच्चे को एक स्वस्थ जीवन दिया जा सकता है। डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि रामचरितमानस में भी नवजात शिशुओं की बाल लीला की चर्चा है और कैसे इससे सारे परिवार के लोग प्रफुल्लित होते हैं, इसकी चर्चा है। एचओडी डॉ. केएन मिश्रा ने बताया कि नवजात शिशुओं के जन्म के समय हम सतर्क रहें और इसका स्क्रीनिग करें। डॉ. ओम प्रकाश ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर एक रजिस्टर बनाने की जरूरत है, जिसमें जन्मजात विकृतियों और बीमारियों को दर्ज किया जा सके जिससे भविष्य के लिए कार्यक्रम तैयार किया जा सके।