भारत एक बहुभाषी व बहुसंस्कृती वाला देश : वीसी

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि भारत एक बहुभाषा-बहुभाषी और बहुसंस्कृती वाला देश है और यही विशेषता उसे दुनिया में एक विशिष्ट और उदार राष्ट्र बनाती है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 12:48 AM (IST) Updated:Fri, 24 Jan 2020 12:48 AM (IST)
भारत एक बहुभाषी व बहुसंस्कृती वाला देश : वीसी
भारत एक बहुभाषी व बहुसंस्कृती वाला देश : वीसी

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि भारत एक बहुभाषा-बहुभाषी और बहुसंस्कृती वाला देश है और यही विशेषता उसे दुनिया में एक विशिष्ट और उदार राष्ट्र बनाती है। एक से अधिक भाषाएं बोलने से हमारा दिमाग ऊर्जावान बना रहता है। एक से अधिक भाषाएं जानने वाले मेघावी होते हैं। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा संस्थान की ओर से प्राशनिक भवन में लर्न फ्रेंच इन फन वे विषय पर कार्यशाला का उद्घाटन कुलपति ने किया। उद्घाटन करने के बाद कुलपति सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौड़ में भारतीय भाषाओं के अलावा विश्व की अन्य भाषा का ज्ञान उन्हें और भी समृद्ध बनाता है। ये उनके ज्ञान और नौकरी के अवसरों को भी बढ़ाता है। इस तरह के वर्कशॉप से हमारे बच्चे देश-विदेश की गतिविधि व कार्यप्रणाली से परिचित हो सकेंगे व शैक्षणिक सुधार ला सकते हैं। हमलोग डिग्री कोर्स के साथ सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं। इस तरह के वर्कशॉप से छात्र इस कोर्स में नामांकन करवाएंगे। कार्यक्रम में आधार पुरुष फ्रेंच इंबैसी, कोलकाता से आए आधार पुरुष सौरभ भौमिक और मदाम सोलबेग ओबेजेते भी सम्मिलित हुए। इस अवसर पर सौरभ भौमिक ने कहा कि बच्चों को कई भाषाओं का एक साथ सीखना किसी प्रकार की समस्या नहीं है, बहुभाषी समाज में भाषाई विविधता एक सरदर्द नहीं बल्कि एक संसाधन है। बहुभाषी कि क्षमताओ व संभावनाओं को जितनी जल्दी हम समझे उतना ही हमारे लिए श्रेयसकर होगा। उन्होंने भारतीय छात्रों को फ्रांस में मिलने वाली विशेष रियायत की विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। संस्थान की निदेशक डॉ. प्रतिभा गुप्ता ने कहा कि फ्रेंच भाषा से यहां के बच्चे पूरी तरह अनजान है इसीलिए इस तरह का वर्कशॉप से बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा। भारत सहित विश्व के अधिकांश देशों में बहुभाषी विद्यार्थी आदर्श हैं। एक से अधिक भाषा का ज्ञान के संज्ञात्मक और व्यावहारिक लाभ के कई शोध और प्रमाण हैं। इस प्रकार का ज्ञान अध्यापक और शिक्षण का अदभुत साधन है। बहुराष्ट्रीय कंनियों में फ्रेंच भाषियों की मांग अधिक हैं और इसी जरूरत को पूरा करने के लिए विद्यार्थियों को इसका महत्व बताया गया। उन्होंने फ्रेंच के कुछ पुस्तक देने के लिए गौतम गुप्ता को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में शिव शंकर, विकाश कुमार, अनन्या ठाकुर, अंजलि झा, रिचा कश्यप, नवा•ा अख्तर, सुमन कुमार साह, मो. फहीम, पूजा कुमारी, ऋषभ मिश्रा, रजनी कुमारी, मयंक अग्रवाल, अनुराग सुमन, आयशा शर्मा, चंदन कुमार को सर्टिफिकट दिया गया। वर्कसॉप में कुल 46 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में गणित विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन अग्रवाल, विकास अधिकारी प्रो. केके साहू, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. एके बच्चन, परीक्षा नियंत्रक प्रो. एसएन राय, पूर्व अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉक्टर अरूणिमा सिन्हा, कुलानन्द यादव, पुनीता झा, अखिलेश सिंह आदि गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी सहभागिता जताई।

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