बुद्धि की मदद से मनुष्य जानवरों और मशीनों का अपने हितों में करता इस्तेमाल : कुलपति
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर भौतिकी विभाग और दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को जुबली हाल में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आयोजित किया गया।
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर भौतिकी विभाग और दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को जुबली हाल में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आयोजित किया गया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फोटोनिक्स एंड रेवोल्यूशनरी स्मार्ट मैटेरियल्स (एआइपीआरएसएम-2021) विषय पर आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने किया। कहा बुद्धि मनुष्यों का प्रमुख गुण है। हमारी सभ्यता ने जो भी उपलब्धियां हासिल की हैं, वे मनुष्य की बुद्धि का ही नतीजा है। बुद्धि की मदद से ही मनुष्य विभिन्न जानवरों और मशीनों का अपने हित के लिए इस्तेमाल करता है। अब तक जितनी भी मशीनें बनी हैं, वे पहले से निर्धारित काम को ही करती रही हैं, चाहे कारखाने हों, मोटर गाड़ियां हों या कंप्यूटर हो। लेकिन, अब मनुष्यों ने अपनी बुद्धि की मदद से ही मशीनों को बुद्धिमान बनाने के प्रयासों में कुछ कामयाबी हासिल कर ली है।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की संरक्षक प्रतिकुलपति प्रो. डॉली सिन्हा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के निर्माण से लोगों के जीवन की गुणवत्ता में बदलाव आया है। आधुनिक जीवन में लोगों के पास समय का आभाव-सा हो गया है। लेकिन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लोगों का काफी समय बच रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर का उपयोग आजकल अधिकतर लोग करने लगे हैं। इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने में भी लोगों को कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के व्यवसायिक स्वरूप पर काफी कार्य हो रहा है। आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में काफी परिवर्तन होंगे।
सम्मानित अतिथि और विश्वविद्यालय के विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. बीएस झा ने कहा कि कुलपति के कुशल नेतृत्व के कारण ही आजकल अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियां बारबार आयोजित की जा रही हैं। आज के दौर में आर्टफिशियल इंटेलिजेंस एक लोकप्रिय शब्द बन गया है। जब मशीन इंसान का कार्य करने लगे तो उसे ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा जाता है। मानव हमेशा बेहतर प्रोडक्ट बनाने में लगा रहता है
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के को-संरक्षक विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि विश्वविद्यालय का कार्य केवल विद्यार्थियों को सिलेबस पढ़ाना नहीं है। देश और समाज को यह भी बताना चाहिए की बदलते समय के साथ हम अपनी शिक्षण प्रणाली में क्या बदलाव कर रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विकासशील देशों के लिए चितन का विषय है। आज इंसान के बदले रोबोटिक मशीन कार्य कर रही है।
भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो. अरुण सिंह ने कहा कि आधुनिक समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उपयोगिता को देखते हुए इस विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई है। संगोष्ठी के बाद विश्वविद्यालय और बाहर से आए रिसर्च स्कॉलर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में शोध कार्य करने के लिए प्रेरित होंगे। संगोष्ठी में आनलाइन और ऑफलाइन के माध्यम से जुड़े देश-दुनिया के विद्वानों और रिसर्च स्कॉलरों का स्वागात करता हूं। संगोष्ठी के आयोजन में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. अशोक कुमार मेहता की भी अहम भूमिका रही। मौके पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डा. रितेश कुमार चौरसिया, अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के व्यवस्थापक सचिव प्रो. सुरेंद्र कुमार, प्रो. चंद्रभानु सिंह, प्रो. केके. साहू, विनय कुमार सहित अन्य मौजूद थे।