जहां बनती थी अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति, आज बना खंडहर
स्वतंत्रता सेनानियों का रणनीति स्थल में शुमार हायाघाट प्रखंड के मझौलिया गांव स्थित मगन आश्रम इन दिनों बदहाली के आलम में है। आश्रम खंडहर में तब्दील हो गया है। कभी स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध उक्त आश्रम से ही बिगुल फूंकते हुए देश को आजाद कराने में अपनी भूमिका निभाई थी।
दरभंगा । स्वतंत्रता सेनानियों का रणनीति स्थल में शुमार हायाघाट प्रखंड के मझौलिया गांव स्थित मगन आश्रम इन दिनों बदहाली के आलम में है। आश्रम खंडहर में तब्दील हो गया है। कभी स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध उक्त आश्रम से ही बिगुल फूंकते हुए देश को आजाद कराने में अपनी भूमिका निभाई थी। पिछले एक दशक से मगन आश्रम बंद पड़ा है, इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। आश्रम से देश की आजादी का बिगुल फूंकने के साथ ही पर्दा प्रथा, छुआछूत, नशा मुक्ति, अशिक्षा, विधवा विवाह, विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार की शंखनाद किया गया था। रघुनाथपुर गांव निवासी राजेंद्र प्रसाद मिश्र के पुत्र स्वतंत्रता सेनानी रामनंदन मिश्र की अगुआई में आश्रम की स्थापना हुई थी। महात्मा गांधी अपने भतीजे मगन लाल गांधी को यहां भेजा था। हालांकि, आश्रम आने के क्रम में 22 अप्रैल 1928 को पटना में उनका निधन हो गया। इन्हीं की याद में स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामनंदन मिश्र सहित अन्य लोगों ने मिलकर वर्ष 1929 में मझौलिया गांव में मगन आश्रम की स्थापना की। आश्रम के लिए मझौलिया गांव के जगदीश चौधरी ने अपनी जमीन दी थी। महात्मा गांधी ने 1929 में सरदार बल्लभ भाई पटेल को आश्रम भेजा था। बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जेबी कृपलानी, अरुणा अशरफ अली, सुचेता कृपलानी, विमला फारुखी, जयाप्रभा देवी सहित कई बड़े स्वतंत्रता के सारथी आश्रम पहुंचे चुके हैं। वहीं मगन गांधी की बेटी राधा गांधी और दुर्गा बाई भी आश्रम पहुंच चुकी हैं। इन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर चरखा काटने का अभियान चलाया था। स्वतंत्रता सेनानी सुरेंद्र झा कहते हैं, आजादी की लड़ाई का यह इतिहास प्रशासनिक व राजनीतिक उपेक्षा के कारण खंडहर होता जा रहा है। इसका पुनरुद्धार होना चाहिए। केंद्र व राज्य सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए।