वैदिक साहित्य समस्त ज्ञान-विज्ञान का अक्षय भंडार : पूर्व कुलपति

सीएम कालेज के स्थापना दिवस समारोह को लेकर कालेज के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में रविवार को संस्कृत साहित्य में वर्णित राष्ट्रीय भावना विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 02:00 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 02:00 AM (IST)
वैदिक साहित्य समस्त ज्ञान-विज्ञान का अक्षय भंडार : पूर्व कुलपति
वैदिक साहित्य समस्त ज्ञान-विज्ञान का अक्षय भंडार : पूर्व कुलपति

दरभंगा । सीएम कालेज के स्थापना दिवस समारोह को लेकर कालेज के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में रविवार को संस्कृत साहित्य में वर्णित राष्ट्रीय भावना विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. देवनारायण झा ने कहा कि वैदिक साहित्य समस्त ज्ञान-विज्ञान का अक्षय भंडार है, जिससे सभी प्रकार की ज्ञान- धाराएं प्रवाहित हुई हैं। वेदों में राष्ट्र की उदात्त भावनाएं व्यक्त की गई हैं। यदि राजा आत्म शासन में रहकर राष्ट्र का सम्यक संचालन करें तो राष्ट्र समृद्ध और मजबूत होगा।

मुख्य वक्ता के रूप में कमला नेहरु कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की संस्कृत विभाग की प्राध्यापिका डा. मैत्रेयी कुमारी ने कहा कि वैदिक साहित्य के आदर्श राष्ट्रीय भावना आधुनिक संस्कृत साहित्य में व्यावहारिक रूप में प्रकट हुआ है। राष्ट्र आपसी प्रेमभाव, सहयोग तथा विश्वास से समृद्ध बनता है।

अध्यक्षीय संबोधन में सीएम कालेज के प्राचार्य प्रो. विश्वनाथ झा ने कहा कि सभी भेदभावों का समूल नष्टकर मन, वचन और कर्म में एकरूपता लाकर ही हम राष्ट्रीय भावना को विकसित कर सकते हैं। भारतीय समाज एवं संस्कृति समन्वयवादी है। आज संस्कृत साहित्य की समृद्धि तथा संस्कृत विद्वानों के सम्मान का समय है। वेबिनार का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. जीवानंद झा ने कहा कि चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य के माध्यम से केंद्रीकृत शासन- व्यवस्था तथा शक्तिशाली राष्ट्र की स्थापना की थी। विशिष्ट अतिथि के रूप में जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत- प्राध्यापक डा. राजेंद्र कुमार ने कहा कि वेबिनार का विषय अत्यंत ही विस्तृत एवं उपयोगी है। साहित्य में हर विचारधाराओं को अत्यंत ही सम्मान दिया गया है। मारवाड़ी महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. विकास सिंह ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। यहां के सभी वर्ग व धर्म का राष्ट्र निर्माण में अमूल्य योगदान रहा है।

कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभागाध्यक्ष व वेबिनार के संयोजक डा. आरएन चौरसिया ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन इग्नू के सहायक समन्वयक डा. शिशिर कुमार झा ने किया। वेबिनार में जामिया मिल्लिया इस्लामिया केंद्रीय विश्वविद्यालय, दिल्ली से प्रो. जयप्रकाश नारायण, असम से प्रो मृणाल कांति सरकार, जीडी कॉलेज, बेगूसराय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. शशिकांत पांडेय, यूपी से डा. सीता कुमारी, डा. विनीता कुमारी, डा. वीरेंद्र कुमार झा, डा. शंभू मंडल, सुधांशु कुमार, आशीष रंजन, विद्यानंद चौरसिया, सरिता शर्मा, रंजू भारती, डा. संजीत कुमार झा, डा. पूनम कुमारी, मोमित लाल, गिरधारी झा, डा. सरिता कुमारी, जहांआरा, सुरुचि आनंद, अमरजीत कुमार, डा. अनीता गुप्ता, आशीष रंजन डा. बंदना, डा. ममता सिंह, उपासना गुप्ता, राजकुमार गणेशन, स्वाति कुमारी, रानी कुमारी, नित्यानंद मिश्र, कैलाशचंद्र झा, विकास यादव, बालकृष्ण सिंह, नूतन रोजी, डा. बालकृष्ण प्रसाद, डा. त्रिलोकनाथ, शांभवी तानिया, डा. नीलमणि झा, कृष्ण मोहन भगत, धर्मेंद्र कुमार, सत्यम कुमार,नीतीश अग्रवाल, रौनक कुमार, डा. वैद्यनाथ ठाकुर, मनीष गुप्ता, डा. विश्वंभर प्रसाद आदि शामिल थे।

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