गांव में नदी ने सबकुछ डुबोया, शहर में हुई अंत्येष्टि
बाढ़ का कहर कुशेश्वरस्थान पूर्वी व पश्चिमी प्रखंड के लोगों पर इस कदर बरप रहा है कि लोग अपनों को अपने गांव में मिट्टी भी नहीं दे पा रहे। गांव घर-बार सड़क और श्मशाम सभी जलप्लावित हैं। नतीजतन मौत के बाद भी दाह-संस्कार की बड़ी समस्या हो जा रही है।
दरभंगा । बाढ़ का कहर कुशेश्वरस्थान पूर्वी व पश्चिमी प्रखंड के लोगों पर इस कदर बरप रहा है कि लोग अपनों को अपने गांव में मिट्टी भी नहीं दे पा रहे। गांव, घर-बार, सड़क और श्मशाम सभी जलप्लावित हैं। नतीजतन मौत के बाद भी दाह-संस्कार की बड़ी समस्या हो जा रही है। रविवार को शहर के भीगो स्थित मुक्तिधाम में एक युवक की अंत्येष्टि उसके स्वजन इस कारण से करने पर मजबूर हो गए कि उनके गांव में दाह-संस्कार के लिए जमीन नहीं बची। स्वजनों ने बताया कि सुघराइन लक्षमिनिया निवासी रामसागर राय का युवा पुत्र विपिन कुमार घर से शुक्रवार को निकला वापस नहीं लौटा। शनिवार को उसका शव कमला बलान नदी से 18 घंटे बाद निकाला गया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पताल भेजा। यहां पोस्टमार्टम के बाद जब स्वजनों को पुलिस ने रविवार को शव दिया तो उनके सामने दाह-संस्कार की समस्या खड़ी हो गई।
फिर स्वजन शव को लेकर शहर के भीगो श्मशान लेकर गए। वहां मौजूद कबीर सेवा संस्थान के नवीन सिन्हा ने लोगों की मदद की और शहर में ही विपिन को उसके भतीजे ने मुखाग्नि दी।
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दस किलोमीटर चलना पड़ता नाव से :
अंत्येष्टि में शामिल होने आए लोगों ने बताया कि हमारा तो जीवन ही नाव पर हो गया है। अभी वक्त से अंत्येष्टि कर नहीं जाएंगे तो आगे के क्रिया-कर्म में भी परेशानी होगी। दस किलोमीटर नाव से चलना पड़ता है। कबीर सेवा संस्थान के नवीन सिन्हा ने लोगों की मदद की और समय से दाह-संस्कार कराकर उन्हें छोड़ा।
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हाल में महिसौत में मचान पर कोठी में हुई थी अंत्येष्टि :
याद रहे कि इस इलाके की पीड़ा इतनी बढ़ चली है कि इससे पहले 21 जुलाई को कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के महिसौत गांव में 90 वर्षीय शिबली यादव की मौत के बाद भी लोग परेशान हुए थे। बाद में उनकी अंत्येष्टि मचान पर कोठी रखकर की गई थी। लगातार बाढ़ का पानी जमा रहने से इलाके के लोगों की मुश्किलें लगातार बढ़ गई हैं। -