मदरसा भवन की प्रस्वीकृति के लिए दिखाई जमीन का स्वामित्व दूसरे के नाम

दरभंगा। मनीगाछी प्रखंड के वाजिदपुर गांव में मदरसा शिक्षा बोर्ड पटना से प्रस्वीकृत मदरसा इस्लामि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Nov 2021 10:35 PM (IST) Updated:Tue, 16 Nov 2021 10:35 PM (IST)
मदरसा भवन की प्रस्वीकृति के लिए दिखाई जमीन का स्वामित्व दूसरे के नाम
मदरसा भवन की प्रस्वीकृति के लिए दिखाई जमीन का स्वामित्व दूसरे के नाम

दरभंगा। मनीगाछी प्रखंड के वाजिदपुर गांव में मदरसा शिक्षा बोर्ड पटना से प्रस्वीकृत मदरसा इस्लामिया की प्रस्वीकृति और शिक्षकों को वर्षों से होने वाले अवैध भुगतान की पोल अब परत दर परत खुलने लगी है। जिला शिक्षा पदाधिकारी विभा कुमारी ने पूरे मामले को मदरसा बोर्ड के पाले में डालते हुए कहा है कि उच्च न्यायालय के पारित आदेश के आलोक में निर्णय उसी को लिया जाना है। इस संबंध में क्षेत्रीय शिक्षा उप-निदेशक कार्यालय के कार्यक्रम पदाधिकारी का स्थलीय जांच प्रतिवेदन भी संलग्न किया गया है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि जिस खेसरा को मदरसा के प्राचार्य और सचिव दर्शा रहे हैं, वह खेसरा मदरसा की भूमि नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि प्राचार्य और सचिव ने भूमि से संबंधित जो विवरण उपलब्ध कराया, उस विवरण में अंकित कुछ भूमि मोहम्मद गफ्फार की बताई गई। जबकि कुछ भूमि मो मंसूर, सुमन और ललन की खेती की भूमि बताई गई। जहां मदरसा है, भवन है, उससे संबंधित कागजात समिति दर्शाने में प्रबंधन असफल रहा। पूरा मामला उसी गांव के मो. स़फीउल्ला रशीद ने उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि वाजिदपुर स्थित मदरसा इस्लामिया की प्रस्वीकृति फर्जीवाड़े के आधार पर प्राप्त की गई है। उनका कहना था कि 11 मई 1985 को निबंधित मदरसा के नाम केवाला संख्या 8964 ही फर्जी है। इसका कारण है कि इस केवाले में जो रकबा दर्शाया गया और जो खेसरा दर्शाया गया वह दोनों गलत है। जब बुनियाद ही गलत है, फर्जीवाड़े पर आधारित है तो उसके आधार पर मदरसा बोर्ड से 1987 में प्राप्त प्रस्वीकृति भी अवैध है। इस आधार पर फर्जी मदरसे में कार्यरत शिक्षकों को हुआ भुगतान भी अवैध है। इस संबंध में तत्कालीन अंचलाधिकारी ने भी 23 अगस्त 2016 को क्षेत्रीय शिक्षा उप-निदेशक के निर्देश पर मदरसा के भूमि की जांच की थी। उन्होंने भी अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट कर दिया था कि मदरसा को कुल चार कट्ठा बारह धूर जमीन प्राप्त है, जिसपर वह अवस्थित है। जबकि उक्त केवाला में मदरसे की भूमि का रकबा दस कट्ठा दर्शाया गया है। वस्तानिया वर्ग के लिए मदरसा बोर्ड ने मान्यता देने के लिए जो मानक निर्धारित किए हैं, अंचलाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर वह भी पूरा नहीं होता है। इस संबंध में विवाद उच्च न्यायालय तक भी गया था। जिसमें मदरसा बोर्ड को जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया गया। मो. स़फीउल्ला रशीद ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिए आवेदन मे कहा है कि उच्च न्यायालय के दिए आदेश पर मदरसा बोर्ड ने भी जांच के नाम पर अपने ही अवैध काम को वैध ठहराया। इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी विभा कुमारी ने कहा कि केवल वाजिदपुर का मदरसा इस्लामिया ही नहीं, जिले के सभी पांच दर्जन से अधिक मदरसों से संपूर्ण अभिलेख तलब किया गया है। गहन जांच के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई मदरसों में ऐसे ही फर्जीवाड़े के आलोक में उच्च न्यायालय ने सरकार को सभी मदरसों की गहन जांच का आदेश दिया है। -----

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