समाप्ति के कगार पर है जेटियाही तालाब का अस्तित्व
विश्व को बाढ़ संचय प्रणाली के माध्यम से अकाल से बचने का उपाय बताने वाली दरभंगा की तालाब आधारित जल व्यवस्था धीरे-धीरे समाप्ति के कगार पर है।
दरभंगा । विश्व को बाढ़ संचय प्रणाली के माध्यम से अकाल से बचने का उपाय बताने वाली दरभंगा की तालाब आधारित जल व्यवस्था धीरे-धीरे समाप्ति के कगार पर है। जल्द ही कारगर कदम नहीं उठाए गए तो यह व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी। दरभंगा की पहचान तालाबों से थी। इसे तालाबों की नगरी कहा जाता था। यहां कई ऐतिहासिक तालाब है। सभी का अपना समृद्ध इतिहास है। लेकिन, तब से अब में काफी फर्क आ गया है। तालाबों पर भूमाफिया की नजर है। कई तालाबों का तो अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। शहर के वार्ड नंबर 20 स्थित जेटियाही तालाब जलकुंभी व कचरा से पटा हुआ है। इसका अस्तित्व ही समाप्ति के कगार पर है। पोखर का क्षेत्रफल लगभग एक एकड़ है। लेकिन, आलम यह है कि तालाब में जल कम गंदगी ज्यादा है। पूरा तालाब लगभग सूख चुका है। देखने में यह कचरा मैदान नजर आता है। साथ ही अतिक्रमण का भी शिकार है। कुछ लोगों ने तालाब पर अतिक्रमण कर रखा है। निगम के अमीन की मानें तो पोखर की लगभग छह कट्टा भूमि पर लोगों का कब्जा है। दस लोगों को अतिक्रमण खाली करने की नोटिस भी प्रशासन की ओर से दिया गया है। स्थानीय निवासी मो. आलम का कहना है कि तालाब की सफाई कभी नहीं की गई है। इस वजह से यह अपना अस्तित्व ही खोता जा रहा है। तालाब में जलकुंभी व कचरा का अंबार है। इधर नगर अभियंता रतन किशोर वर्मा की मानें तो जल्द ही जेटियाही तालाब की उड़ाही कराई जाएगी। 26 मई को बुडको के मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में एक टीम ने शहरी क्षेत्र के तालाबों का स्थल निरीक्षण किया था। मुख्य अभियंता की ओर से प्रथम चरण में नौ तालाबों के उड़ाही कराने का निर्देश दिया गया था। इसमें जेटियाही तालाब भी शामिल है। इधर तालाब अभियान समिति के सदस्यों की मानें तो शहर में कई तालाब का अस्तित्व ही समाप्त हो गया। 1964 के सरकारी दस्तावेज के अनुसार शहर में तालाबों की संख्या 364 पर थी। वर्तमान में यह संख्या सौ के करीब पहुंच गई है। रीडर कनेक्ट के लिए- 99397 37239