कापी-किताबों कारोबार हुआ ठप, 80 फीसद स्टॉक बचे रह गए

दरभंगा। कोरोना की दूसरी लहर के कारण कापी-किताबों के कारोबार का भी एकदम बंटाधार

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 11:50 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 11:50 PM (IST)
कापी-किताबों कारोबार हुआ ठप, 80 फीसद स्टॉक बचे रह गए
कापी-किताबों कारोबार हुआ ठप, 80 फीसद स्टॉक बचे रह गए

दरभंगा। कोरोना की दूसरी लहर के कारण कापी-किताबों के कारोबार का भी एकदम बंटाधार हो गया। स्कूल-कॉलेज बंद होने से कापी-किताबें बहुत कम बिकीं। इससे स्टेशनरी कारोबारियों के करीब 80 फीसद स्टॉक बचे रह गए हैं। कंपनियों द्वारा कापी-किताबें वापस न करने से व्यापारी परेशान हैं, उनके लाखों-करोड़ों रुपये डंप हो गए हैं। अगले शैक्षिक सत्र में भी किताबों की बिक्री की उम्मीद नहीं है, जिससे स्टेशनरी व्यापारियों को तगड़ी चपत लगना तय है। बता दें कि स्कूल-कॉलेज बंद रहने के साथ ही कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई और डिजिटल लाइब्रेरी के ज्यादा उपयोग ने भी कापी-किताब कारोबार को प्रभावित किया है।

कंपनियों के वापसी न करने से फंसे लाखों रुपये:

एक अप्रैल से नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत हुई। लेकिन, अप्रैल महीने के प्रारंभ से ही कोरोना की दूसरी लहर भयावह रूप से आ जाने के कारण स्कूल-कॉलेज सब बंद हो गए। इससे कापी-किताबों की बिक्री भी ठप पड़ गई। लिहाजा, स्टेशनरी कारोबारियों के लगभग 80 फीसद तक स्टॉक डंप हो गए। कापी-किता से जुड़े बड़े कारोबारी जगदीश साह कहते हैं हर थोक विक्रेता करीब लगभग 30 लाख से लेकर एक करोड़ की कापी-किताबें मंगवाता है। लेकिन, इस बार शैक्षिक सत्र शुरू होते ही कोरोना महामारी के प्रचंड रूप अख्तियार कर लेने से ज्यादातर स्टॉक डंप रह गया। करीब 10-20 फीसद कापी-किताबें ही बिक सकी। पूरी तरह चौपट हो गया कापी-किताब कारोबार :

निर्मल पुस्त भवन के कौशल कुमार महासेठ की माने तो तो पिछले दो साल से कापी-किताबों का कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया है। हो सकता है कि इस बार की किताबें अगले साल काम नहीं आए। ऐसे में स्टेशनरी कारोबारी और घाटा में डूब जाएंगे। कंपनियां भी कापी-किताबें वापस नहीं लेंगी। इससे स्टेशनरी कारोबारियों को बहुत नुकसान होगा। पिछले साल भी कोरोना के कारण कापी-किताबों का कारोबार चौपट हो गया था।

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