भगवान कृष्ण के मुख से निकला अमृत है श्रीमद्भागवत कथा : आचार्य सुनील
श्रीमद्भागवत कथा केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकला हुआ अमृत भी है। इसे अमृत प्रसाद भी समझ सकते हैं।
दरभंगा । श्रीमद्भागवत कथा केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकला हुआ अमृत भी है। इसे अमृत प्रसाद भी समझ सकते हैं। आगम, निगम, वेद, पुराण, शास्त्र, उपनिषद आदि का महत्वपूर्ण सार ही श्रीमद्भागवत कथा है। ये बातें आचार्य सुनील शास्त्री ने बेनीपुर के शिवराम गांव के गगनेश्वर महादेव मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कही। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र युद्ध की भीषण परिस्थिति में 18 अक्षनी सेना का जमघट, हजारों हाथियों की चंघाड़, लाखों घोड़ों की हिनहिनाहट, हजारों रथों की गड़गड़ाहट, लाखों सेनाओं की भयंकर गर्जना, अस्त्र-शस्त्रों की खनखनाहट, इन सब बातों से मन मोड़ कर परम भक्त अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण के मुखार ¨वद से अनमोल अमृत गीता ज्ञान प्राप्त की। इससे इस लोक में अर्जुन की कीर्ति और परलोक में अमर पद की प्राप्ति हुई। उन्होंने कहा कि जीवन के कर्म क्षेत्र में ¨चता और कामनाओं की सेना में खड़ा रहकर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे डरावने शत्रुओं का घोर नाद सुनते हुए जो इंसान लोभ और मोह के पांच बंधनों से मुक्त, कंचन और कामिनी की चकाचौंध से बचता हुआ, गीता ज्ञान को प्राप्त करेगा, उसके लोक और परलोक दोनों ही सुधरेंगे। जिसके जीवन में गीता ज्ञान उतर गया वो संपूर्ण सुख प्राप्त करने के पश्चात जीवन मुक्त हो जाता है। कल्पवृक्ष का महत्व बताते हुए कहा कि इसके नीचे बैठकर कुछ भी कामना करो, वो पूरी हो जाती है, लेकिन कल्पवृक्ष मोक्ष नहीं दे सकता। प्रवचन सुनने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है।