श्रीराम कथा के श्रवण पापों से मिलती है मुक्ति : आचार्य
जननायक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अपना संपूर्ण जीवन मानवता के उद्धार एवं संसार के दु:खों को दूर करने के लिए लगा दिया।
दरभंगा । जननायक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अपना संपूर्ण जीवन मानवता के उद्धार एवं संसार के दु:खों को दूर करने के लिए लगा दिया। राम का आदर्श ग्रहणीय एवं आदरणीय है। भगवान श्रीराम ने जंगल में घोर संकट का सामना करने के बाद भी उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं छोड़ी। उन्होंने बंदरों की सेना बनाकर रावण जैसे विश्वप्रतापी राजा को चुनौती दे डाला। उन्होंने बाली जैसे बलशाली को भी बुद्धि बल से मार गिराया । श्रीराम कथा के श्रवण मात्र से जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है।इसे आत्मसात कर मानव जीवन निश्चित रूप से सफल हो सकता है। उक्त बातें जनकपुरधाम से आए कथावाचक संत शिरोमणि आचार्य रमणकृष्ण शांडिल्यजी महाराज ने कही।वे सहोड़ा गांव स्थित श्रीरामजानकी मंदिर के परिसर स्थित नौ दिवसीय श्रीरामकथा के अंतिम दिन श्रीरामकथा के महात्म पर प्रकाश डाल रहे थे। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी मनुष्य को धर्म व हिम्मत नहीं छोड़ना चाहिए। श्रीराम से ही भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य की उपज होना बताया। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं को दुर्गुण छोड़ सदगुणों को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने श्रीरामकथा के विभिन्न स्तंभों की चर्चा करते हुए इसकी उत्पत्ति पर भी विस्तार से चर्चा की। लोगों को शाकाहार अपनाने तथा नशाबंदी को मजबूत करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि एक स्वच्छ तथा समरस समाज की स्थापना के लिए यह जरुरी है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम की प्रत्येक लीला मानव जीवन के लिए अनुकरणीय है। श्रीराम जय राम, जय-जय राम पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि केवल इसके जपने से भी मानव को उनके पापों से मुक्ति मिलने के साथ जीवन की सभी बाधाएं दूर होगी और मनुष्य को अपने लक्ष्य के साथ मंजिल को भी प्राप्ति होगी। इस दौरान उन्होंने भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक पर भी विस्तृत रूप से चर्चा की। इस दौरान भक्ति ज्ञान एवं संगीतमय रामकथा के नौवें यानि अंतिम दिन काफी संख्या में श्रद्धालु नर-नारी शामिल थे। इस बीच श्रद्धालु अभिभूत होते रहा।