अच्छे शोध के कारण विज्ञान क्षेत्र में हो रही प्रगति : कुलपति

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीजी जंतु विज्ञान विभाग द्वारा सोमवार को दो दिवसीय इंटरनेशनल कान्फ्रेंस आयोजित किया गया। रिसेंट एडवांसेज इन लाइफ साइंसेज विथ रेफरेंस टू डिसीजेस डिसआर्डर्स एंड एडेप्टेशंस विषय पर आयोजित कान्फ्रेंस में देश-विदेश से विद्वानों ने भाग लिया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 02:22 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 02:22 AM (IST)
अच्छे शोध के कारण विज्ञान क्षेत्र में हो रही प्रगति : कुलपति
अच्छे शोध के कारण विज्ञान क्षेत्र में हो रही प्रगति : कुलपति

दरभंगा । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीजी जंतु विज्ञान विभाग द्वारा सोमवार को दो दिवसीय इंटरनेशनल कान्फ्रेंस आयोजित किया गया। रिसेंट एडवांसेज इन लाइफ साइंसेज विथ रेफरेंस टू डिसीजेस, डिसआर्डर्स एंड एडेप्टेशंस विषय पर आयोजित कान्फ्रेंस में देश-विदेश से विद्वानों ने भाग लिया। कान्फ्रेंस में कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रसाद सिंह, प्रतिकुलपति प्रो. डाली सिंहा, वित्त परामर्शी कैलाश राम एवं कुलसचिव डा. मुश्ताक अहमद, प्रो. एम नेहाल,संगठन सचिव डॉ. पारुल बनर्जी मुख्य रूप से शामिल थे। कान्फ्रेंस में ब्स्ट्रैक्ट संग्रह का विमोचन किया गया। विज्ञान संकायाध्यक्ष सह आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. विमलेंदु शेखर झा ने अतिथियों एवं आनलाइन जुड़े वक्ताओं का स्वागत किया।

कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कान्फ्रेंस में अतिथियों और शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि अच्छे शोध के कारण इन दिनों विज्ञान क्षेत्र में प्रगति देखी जा रही है। शोधार्थियों को समसामयिक विषय का चयन करना चाहिए। कुलपति ने आने वाले दो दिनों में तकनीकी सत्रों के दौरान वैचारिक आदान- प्रदान से प्रतिभागियों के भरपूर लाभान्वित होने के प्रति आशा जताई। विभाग के वरीय प्राचार्य सह समन्वयक प्रो. एम नेहाल ने सारगर्भित रूप से कान्फ्रेंस की विषय वस्तु का प्रतिपादन किया। कुलसचिव डा. मुश्ताक अहमद ने कहा कि ई. कान्फ्रेंस कोरोना काल में शैक्षणिक परिदृश्य में अपेक्षित गतिशीलता प्रदान किया है। वित्त परामर्शी कैलाश राम ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का प्रचार-प्रसार जरूरी है। संगठन सचिव डा. पारुल बनर्जी ने देश-विदेश से बड़ी संख्या में स्तरीय शोध सारांश एवं शोध पत्र प्राप्त होने की जानकारी दी। प्रतिकुलपति प्रो. डाली सिन्हा ने ह्यूमन जीनोम परियोजना एवं इससे हुए फायदों की चर्चा की। उन्होंने आने वाले समय में बायोमॉलिक्यूल्स, बायोसिस्टम्स, बायोमेडिसिन के उभरते क्षेत्रों में गहन शोध की अपरिमित संभावनाओं को रेखांकित किया। ब्रेन एजिग आधारित अनेक शोध परियोजनाओं से जुड़े प्रो. महेंद्र कुमार ठाकुर ने आनलाइन मोड में एजिग ब्रेन एंड कॉग्निटिव डिसोर्डर्स विषय पर बीज भाषण प्रस्तुत किया। पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के जरिए उन्होंने मस्तिष्क की कार्यपद्धति, डिमेंशिया एवं अल्जाइमर डिजिज समेत अन्य विसंगतियों के कारणों, उनके दुष्प्रभाव एवं इससे बचने के उपायों की विस्तार से चर्चा की। गणेश पासवान ने आनलाइन कान्फ्रेंस में तकनीकी सहयोग दिया। उद्घाटन सत्र के पहले दिन तकनीकी सत्रों में विशिष्ट वक्ताओं द्वारा शोध पत्रों की आनलाइन प्रस्तुति दी गई।

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