दरभंगा के संस्कृत विश्वविद्यालय के पंचांग का कुलपति ने किया विमोचन
दरभंगा। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से प्रकाशित विश्वविद्यालय पंचांग का विमोचन शनिवार
दरभंगा। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से प्रकाशित विश्वविद्यालय पंचांग का विमोचन शनिवार को कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने किया। पुराने पंचांग की काल अवधि 24 जुलाई 2021 को समाप्त हो रही है। पंचांग विक्रम संवत 2078-79, शकाब्द 1943-44 व अंग्रेजी वर्ष 2021-22 के लिए 25 जुलाई से 13 जून 2022 तक के लिए प्रभावी होगा। वहीं कार्यक्रम के दौरान राजनीति विशेषज्ञ प्रो. सुरेश्वर झा द्वारा लिखित पुस्तक मिथिलामे दू गोट वाचस्पति मिश्र का लोकार्पण किया गया। वहीं मारवाड़ी कॉलेज दरभंगा के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. इंद्रनाथ झा द्वारा रचित मैथिल सदाचार- चितामणि नामक पुस्तक का भी विमोचन हुआ। उपकुसचिव- प्रथम निशिकांत ने बताया कि मौके विश्वविद्यालय पंचांग के विमोचन पर विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी व स्थानीय कई विद्वान उपस्थित थे। नए पंचांग में विवाह के लिए 53 दिन, उपनयन के लिए 11 दिन, द्विरागमन एवम मुंडन के लिए 28-28, गृह आरंभ के लिए 15 तथा गृह प्रवेश के लिए 19 दिन शुभ माना गया है।
कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने कहा कि आज खुशी का अवसर है। सभी कर्मियों के सहयोग से पंचांग का प्रकाशन समय पूर्व सम्भव हो सका। अब शुभ मुहूर्त गणना व ज्योतिषीय कार्यों में विद्वानों को सहूलियत होगी। इसके लिए उन्होंने सभी को धन्यवाद दिया। विश्वविद्यालय पंचांग के प्रधान संपादक पूर्व कुलपति डा. रामचन्द्र झा ने कहा कि पंचांग तैयार करने में पूरी तरह से सूक्ष्मता से काल आदि की गणना की गई है। जिसका लाभ आमजनों को अवश्य होगा। पंचांग के सह संपादक डा. वरुण कुमार झा ने बताया कि इस बार चर्चित अवधि में एक भी ग्रहण नहीं है। कुलपति कार्यालय कक्ष में आयोजित विमोचन समारोह में डा. वैजनाथ चौधरी बैजू, डा. भीमनाथ झा, डा. इंद्रनाथ झा, डा. बौआ नन्द झा,डा. श्रवण कुमार चौधरी, डा. कुलानन्द झा, डा. सुरेश्वर झा, डा. दयानाथ झा, डा. विद्येश्वर झा, डा रेणुका सिन्हा, डा. अमलेंदु शेखर पाठक, डा. पवन कुमार झा, डा. दिनेश झा, डा. नन्दकुमार चौधरी, कुलसचिव डा. शिवारंजन चतुर्वेदी भी मौजूद थे।