खिरमा पंचायत के ओडीएफ वार्डों में बंद नहीं हुई खुले में शौच की कुप्रथा

दरभंगा। सरकार जिस उद्देश्य से खुले में शौच की कुप्रथा को समाज से समाप्त करने की दिशा में प्रयासरत है वह जमीनी स्तर पर सफल होता नहीं दिख रहा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Feb 2020 12:34 AM (IST) Updated:Thu, 27 Feb 2020 06:11 AM (IST)
खिरमा पंचायत के ओडीएफ वार्डों में बंद नहीं हुई खुले में शौच की कुप्रथा
खिरमा पंचायत के ओडीएफ वार्डों में बंद नहीं हुई खुले में शौच की कुप्रथा

दरभंगा। सरकार जिस उद्देश्य से खुले में शौच की कुप्रथा को समाज से समाप्त करने की दिशा में प्रयासरत है, वह जमीनी स्तर पर सफल होता नहीं दिख रहा। केवटी प्रखंड के खिरमा पंचायत की कुल 13 वार्डों में से सात वार्ड तीन, चार, पांच, आठ, नौ, 10 व 11 ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त घोषित हैं। लेकिन, यहां के लोगों का जीवन आज भी पटरी पर नहीं उतरा है। दरभंगा-जयनगर राष्ट्रीय राजमार्ग 527बी के खिरमा चौक के आसपास, खिरमा पुल से प्लस टू गेनालाल जयलाल साह उच्च विद्यालय जानेवाली खरंजा सड़क हो या विनवारा से बरही जाने वाली सड़क या बगीचा, सूरज की पौ फटने से पूर्व एवं शाम ढ़लते ही महिलाओं, बच्चों एवं वृद्वों का इस ओर शौच को जाते या बैठे देखा जा सकता है। ऐसी बात नहीं है कि सरकार की ओर से लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत लोगों में जागरूकता पैदा नहीं की है। घनेरों परिवार में खुशी का आलम है, क्योंकि इनके घर शौचालय का निर्माण हो चुका है। रजिया खातून के अलावा नाम नहीं छापने की शर्त पर कई लोगों ने कहा कि लोगों से कर्ज लेकर शौचालय तो निर्माण करा लिया, लेकिन शौचालय मद की राशि 12 हजार रुपये अब तक उनके बैंक खाते में नहीं आया है। दैनिक जागरण की टीम शौचालयों की स्थिति जानने बुधवार को खिरमा पंचायत के ओडीएफ वार्डों में गई। करीब 26 ऐसे परिवार हैं, जिन्हें जमीन के अभाव में शौचालय नहीं बना है, जहां सार्वजनिक शौचालय की आवश्यकता है। पंचायत के कुल छह वार्डों को अभी तक खुले में शौच से मुक्त घोषित नहीं किया जा सका है। जिस कारण आज तक खिरमा पंचायत खुले में शौच से मुक्त नहीं हो सका। जबकि, वित्तीय वर्ष समाप्ति होने पर है। पुनीत कुमार यादव का कहना है कि खुले में शौच से मुक्त सरकार का सार्थक पहल है, लेकिन आज भी बुजुर्ग, किसान बाहर शौच को जाते हैं। पप्पू कुमार साह का कहना है कि शौचालय बनने से लोगों को काफी राहत मिली है। मो. तमन्ना का कहना है कि सरकार की यह योजना काफी सार्थक सिद्ध हुआ है। प्रखंड समन्वयक ब्रजेश मिश्र ने कहा कि खुले में शौच से मुक्त वार्डों में 26 ऐसे परिवार हैं, जिनके पास भूमि नहीं है। इनके लिए सामुदायिक शौचालय का बजट आ गया है। खाते में एनपीसीआई नहीं होने की वजह से ऐसे लोगों के खाते में राशि नहीं जा रही है। ऐसे लोग अविलंब खाते में एनपीसीआई करा लें, ताकि उनके खाते में राशि भेजी जा सके। जो वार्ड ओडीएफ घोषित नहीं, वहां सामुदायिक शौचालय निर्माण होगा। नए शौचालय निर्माण का इंट्री मुहिम चलाकर आधार इकट्ठा करवाया जा रहा है। इंट्री के बाद नियमानुसार प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा।

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