कबीर और नागार्जुन की रचनाओं में छिपे रहस्यों को समझने की जरूरत : कुलपति

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं उर्दू विभाग के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 12:09 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 12:09 AM (IST)
कबीर और नागार्जुन की रचनाओं में छिपे रहस्यों को समझने की जरूरत : कुलपति
कबीर और नागार्जुन की रचनाओं में छिपे रहस्यों को समझने की जरूरत : कुलपति

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं उर्दू विभाग के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को कबीर एवं नागार्जुन की जयंती मनाई गई। आनलाइन और आफलाइन मोड में कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव समेत विवि के अन्य विभागों के शिक्षकगण कार्यक्रम में शामिल हुए। कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हिदी और उर्दू विभाग के द्वारा इस तरह का कार्यक्रम संचालित करना सराहनीय है। ऐसे समय में कबीर और नागार्जुन जैसे महापुरुषों ने जो दिशाएं और जो रास्ते हमें दिखाए हैं वह आज की इन विषम परिस्थितियों में हमारे लिए बहुत जरूरी जान पड़ती हैं। कबीर-नागार्जुन को गालिब से जोड़ते हुए कुलपति महोदय ने कहा कि हर किसी का संदेश देने का तरीका अलग होता है। लेकिन उनके संदेशों में छिपे रहस्यों को समझकर हर युग की पीढ़ी उनसे शिक्षा ग्रहण कर सकती है।

प्रतिकुलपति प्रो. डाली सिन्हा ने कहा कि कबीर और नागार्जुन की रचनाओं में लंबा अंतर होने के बावजूद उनमें साम्य भाव नजर आता है। जाति, धर्म की रूढि़वादी व्यवस्था पर उक्त दोनों कवियों ने जमकर प्रहार किया। कहा कि नागार्जुन को उनकी मैथिली रचना पत्रहीन नग्न गाछ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि कबीर 15 वीं शताब्दी के इंकलाबी शायर थे। वहीं नागार्जुन हमेशा आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार रहते थे। उन्होंने नागार्जुन की रतिनाथ की चाची की तुलना इस्मत चुगताई के लिहाफ से की। मुख्य वक्ता के रूप में पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के प्रो. मधुप कुमार ने कहा कि आज कबीर और नागार्जुन दोनों महान कवियों को अगर याद किया जा रहा है तो उसके पीछे उनकी महानता है। कहा कबीर ने सहजता की बात की। कबीर की वाणी में वह ताकत है जो सीमाओं को तोड़ देती है। पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजूं पहाड़ कबीर की इसी सहजता को समझना आज की पीढ़ी के लिए जरूरी है।

विशिष्ट वक्ता और विश्वविद्यालय हिदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में नागार्जुन चेयर की स्थापना को लेकर सांसद गोपालजी ठाकुर और विधान परिषद के सदस्य डा. संजय पासवान से वार्ता अंतिम दौर में है। जल्द ही विवि में नागार्जुन चेयर की स्थापना की जाएगी। कहा नागार्जुन बिहार के किसान आंदोलन में सक्रिय थे। वे दरभंगा किसान महासभा के अध्यक्ष थे।

संगोष्ठी के संयोजक विश्वविद्यालय हिदी विभाग के वरिष्ठ प्रो. विजय कुमार ने कहा कि नागार्जुन केवल विद्रोही कवि ही नही, अपितु उनकी कविताएं विविध आयामी भी हैं। कबीर भारतीय एकेश्वरवाद की पुनस्र्थापना के जनक माने जाते हैं।

हिदी विभाग में निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं की हुई घोषण

विश्वविद्यालय हिदी विभाग के अध्यक्ष डा. राजेन्द्र साह ने निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा की। कबीरदास की रचनाओं में प्रथम स्थान हिदी विभाग के दीपक कुमार, द्वितीय स्थान हिदी विभाग की अंशु कुमारी और तृतीय स्थान अंग्रेजी विभाग के भाल चन्द्र झा और संजू कुमारी ने संयुक्त रूप से हासिल किया। नागार्जुन की रचनाओं में प्रथम स्थान हिदी विभाग की कल्पना कुमारी, द्वितीय स्थान हिदी विभाग की वीणा कुमारी और तृतीय स्थान अंग्रेजी विभाग के प्रभात कुमार ने हासिल किया। धन्यवाद ज्ञापन हिदी विभाग के सहायक प्राध्यापक अखिलेश कुमार ने किया। हिदी विभाग के सह प्राचार्य डा. आनन्द प्रकाश गुप्ता ने मंच का संचालन किया। मौके पर हिदी विभाग के कनीय शोध प्रज्ञ कृष्णा अनुराग, अभिषेक कुमार सिन्हा, धर्मेंद्र दास, शोधार्थी दुर्गानन्द ठाकुर समेत अन्य मौजूद थे। केवटी में शिरोमणि कबीर दास एवं बाबा नागार्जुन जयंती पर संगोष्ठी आयोजित : बाबा साहेब राम संस्कृत महाविद्यालय पचाढ़ी में हिन्दी के महान कवि चितक व समाज सुधारक भक्त शिरोमणि कबीरदास व मैथिली तथा हिन्दी के महान कवि बाबा नागार्जुन की जयंती पर गुरुवार को वर्चुअल के माध्यम से संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ. दिनेश झा व संचालन एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो. अभय नाथ ठाकुर ने किया। मौके पर सह प्राचार्य डॉ. निहार रंजन सिन्हा, डा. त्रिलोक झा , डा. विनय कुमार चौधरी, डा .राजकिशोर मिश्र ,डा. पुष्पा कुमारी डा .संतोष कुमार पाठक, डा. प्रबोध नारायण ठाकुर ने भी संबोधित किया । अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने कबीर और पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी के चित्र पर किया माल्यार्पण : महान संत शिरोमणि कबीर की जयंती एवं पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी की पुण्यतिथि पर अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में कमेटी सदस्य सत्य प्रकाश चौधरी, मानवाधिकार संरक्षण के जिला अध्यक्ष प्रदीप कुमार चौधरी, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के संयुक्त मंत्री अरविद कुमार राय, पूर्व अध्यक्ष फकीरा पासवान, तारा कांत पाठक ,अश्विनी कुमार झा ,सीताराम पासवान, हरे राम झा, दिनेश चौधरी, कृष्ण कुमार मिश्र उर्फ प्रभाकर आदि उपस्थित थे।

कबीर मात्र व्याख्यान नहीं,व्यवहार भी : अनाथों एवं वंचितों के मुद्दे पर मौन धारण करने वाले कबीर पर भले व्याख्यान दें पर वे कबीर के प्रति कभी न्याय नहीं कर सकते । कबीर को प्रतीक बनाकर चलने वाले पाखंडियों को कबीर ने सदैव अपनी रचनाओं से कठघरे में खड़ा किया है। उक्त बातें कबीर जयंती के अवसर पर बेनीपुर प्रखंड के जरिसो में मानव सेवा समिति के संस्थापक प्रो.जयशंकर झा ने कही। कहा कि अपेक्षाकृत संपन्न गांव में बने भव्य मंदिर में पत्थर की प्रतिमा प्रतिष्ठित की जाती है। कितु वहां नियुक्त पुजारी के टपकते हुए घर की दुर्दशा पर किसी की नजर क्यों नही जाती।

संत कबीर और कवि नागार्जुन की जीवनी हम लोगों के लिए प्रेरणादायक : कुंवर सिंह महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा गुरुवार को संत कबीर एवं कवि नागार्जुन जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो. डा.अशोक कुमार ने की। कहा कि संत कबीर और कवि नागार्जुन की जीवनी हम लोगों के लिए प्रेरणादायक है। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी डा. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि संत कबीर और बाबा नागार्जुन के साहित्य में जीवन का सही दर्शन मिलता है। आनलाइन कार्यक्रम में डा. रश्मि शिखा ,डा. अभिन्न श्रीवास्तव, डा. अरुण कुमार सिंह ,डा. सुनील कुमार डा. विजय कुमार , कर्मचारी संघ के नेता हर्षवर्धन सिंह, चंद्रशेखर सिंह, विनोद कुमार सिंह विश्वनाथ पासवान,राष्ट्रीय सेवा योजना के ग्रुप लीडर रोहित कुमार सिंह, तनु झा, अंजली कुमारी, ग्रुप लीडर शुभम कुमार झा,शिवानी कुमारी, बैजनाथ रावत, कृष्णा पूर्वे, सुष्मिता कुमारी समेत अन्य शामिल थे।

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