आवेदनकर्ताओं ने सहायक कुलसचिव के मामले को लटकाया

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में सहायक कुलसचिव (प्रशासनिक) के पद पर नियुक्त कुलपति के निजी सचिव डॉ. केएन श्रीवास्तव के मामले को आवेदनकर्ताओं ने लटका दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 11 Jan 2020 12:19 AM (IST) Updated:Sat, 11 Jan 2020 12:19 AM (IST)
आवेदनकर्ताओं ने सहायक कुलसचिव के मामले को लटकाया
आवेदनकर्ताओं ने सहायक कुलसचिव के मामले को लटकाया

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में सहायक कुलसचिव (प्रशासनिक) के पद पर नियुक्त कुलपति के निजी सचिव डॉ. केएन श्रीवास्तव के मामले को आवेदनकर्ताओं ने लटका दिया है। नियुक्ति मामले की जांच के लिए सिडिकेट के निर्णय पर गठित कमेटी के सदस्यों ने आठ जनवरी को बैठक में समिति के समक्ष रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करने लिए शुक्रवार को बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में सदस्यों ने रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करने के बाद निर्णय लिया कि आवेदनकर्ताओं के आवेदनों पर चर्चा की जाएगी, उसके बाद ही इस मामले में कोई निर्णय लिया जाएगा। इससे यही कहा जा सकता है कि आवेदनकर्ताओं ने सहायक कुलसचिव के मामले को लटका दिया है। मालूम हो कि इस मामले में ाचार आवेदनकर्ताओं ने आवेदन किया है। आवेदन करने वालों में डॉ. राम मोहन झा, गगन झा, संदीप कुमार चौधरी व डॉ. केएन श्रीवास्तव है। जानकारी के अनुसार रिपोर्ट देर से ही सौंपी गई है, लेकिन सहायक कुलसचिव मुश्किलों में घिरते दिख रहे हैं। रिपोर्ट में कमेटी ने पाया कि जिस पद पर उनकी नियुक्ति की गई, वह पद सृजित ही नहीं है। यानी की बिना पद के ही नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की गई। इतना ही नहीं, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के संचालन का जो बायलॉज कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया गया, वह ना तो सीनेट-सिडिकेट से और ना ही राजभवन से अनुमोदित है। ऐसे में मामला पेंचीदा होता जा रहा है। निर्णय के बाद ही मामले का खुलासा हो पाएगा।

कई माह से सुर्खियों में है मामला : बता दें कि यह मामला 20 जुलाई को आयोजित सिडिकेट की बैठक में उठा था, जब सदस्यों ने सहायक कुलसचिव के हस्ताक्षर से जारी एक अधिसूचना पर सवाल उठाते हुए उनके नियुक्ति की जांच की मांग की। सदस्यों की मांग पर सर्वसम्मति से जांच का निर्णय करते हुए पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित करने पर सहमति बनी थी, लेकिन बैठक समाप्त होने के बाद उसके कार्यवृत में से उन निर्णयों को हटा दिया गया और अधिसूचना जारी नहीं की गई। बैठक के 10 दिनों बाद भी अधिसूचना जारी नहीं होने पर चार सिडिकेट सदस्यों ने सामूहिक रूप से पत्र देकर कुलपति के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। लेकिन, तब भी मामले को दबाने का प्रयास किया गया था। इसके बाद तीन अगस्त को आयोजित सिडिकेट में इस मामले को लेकर सदस्यों ने जोरदार हंगामा भी किया था। धारा 11 के तहत आपत्ति दर्ज कराई और कुलपति समेत विवि प्रशासन पर कार्यवृत के साथ छेड़छाड़ करने व गलत नियुक्ति को बचाने का आरोप लगाते हुए विरोध दर्ज कराया था। काफी विरोध के बाद कार्यवृत में संशोधन करते हुए अधिसूचना जारी करने का निर्णय लिया गया था और आखिरकार छह अगस्त को अधिसूचना जारी कर दी गई थी।

पद सृजन के संबंध में ली जाएगी जानकारी : प्रतिकुलपति प्रो. जय गोपाल की अध्यक्षता में आयोजित जांच कमेटी की बैठक में पद सृजन का दस्तावेज नहीं मिलने पर तय हुआ था कि इसके संबंध में निदेशक से पूछा जाए कि पद सृजन हुआ तो कब और कैसे हुआ। क्या उसका अनुमोदन लिया गया और क्या कुलसचिव ने पद सृजन की अधिसूचना जारी की थी। जांच के क्रम में सेलेक्शन कमेटी के गठन पर भी कई सवाल उठे थे। जांच कमेटी में कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय, सिडिकेट सदस्य डॉ. हरिनारायण सिंह व कुलानुशासक डॉ. अजीत सिंह व एमएलसी डॉ. दिलीप कुमार चौधरी शामिल है।

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