जांच कमेटी के सदस्यों ने बैठक में सौंपी रिपोर्ट, सहायक कुलसचिव की बढ़ी मुश्किलें

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में सहायक कुलसचिव (प्रशासनिक) के पद पर नियुक्त कुलपति के निजी सचिव डॉ. केएन श्रीवास्तव की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Jan 2020 12:18 AM (IST) Updated:Thu, 09 Jan 2020 06:08 AM (IST)
जांच कमेटी के सदस्यों ने बैठक में सौंपी रिपोर्ट, सहायक कुलसचिव की बढ़ी मुश्किलें
जांच कमेटी के सदस्यों ने बैठक में सौंपी रिपोर्ट, सहायक कुलसचिव की बढ़ी मुश्किलें

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में सहायक कुलसचिव (प्रशासनिक) के पद पर नियुक्त कुलपति के निजी सचिव डॉ. केएन श्रीवास्तव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नियुक्ति मामले की जांच के लिए सिडिकेट के निर्णय पर गठित कमेटी के सदस्यों ने बुधवार को बैठक में समिति को रिपोर्ट सौंप दी है। बैठक में रिपोर्ट पर चर्चा करने के बाद सदस्यों ने निर्णय लिया कि रिपोर्ट की समीक्षा करने के लिए 10 जनवरी को पुन: बैठक आयोजित की जाएगी। सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट देर से ही सौंपी गई है। लेकिन, सहायक कुलसचिव मुश्किलों में घिरते दिख रहे हैं। रिपोर्ट में कमेटी ने पाया कि जिस पद पर उनकी नियुक्ति की गई, वह पद सृजित ही नहीं है। यानि की बिना पद के ही नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की गई। इतना ही नहीं, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के संचालन का जो बायलॉज कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया गया, वह ना तो सीनेट-सिडिकेट से और ना ही राजभवन से अनुमोदित है। ऐसे में मामला पेचीदा होता जा रहा है। बहरहाल, गेंद फिलहाल समिति के पाले में है। 10 जनवरी को होनेवाली बैठक में रिपोर्ट की समीक्षा के बाद मामले का खुलासा हो पाएगा।

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कई माह से सुर्खियों में हैं मामला :

बता दें कि यह मामला 20 जुलाई को आयोजित सिडिकेट की बैठक में उठा था, जब सदस्यों ने सहायक कुलसचिव के हस्ताक्षर से जारी एक अधिसूचना पर सवाल उठाते हुए उनके नियुक्ति की जांच की मांग की। सदस्यों की मांग पर सर्वसम्मति से जांच का निर्णय करते हुए पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित करने पर सहमति बनी थी। लेकिन, बैठक समाप्त होने के बाद उसके कार्यवृत में से उन निर्णयों को हटा दिया गया और अधिसूचना जारी नहीं की गई। बैठक के 10 दिनों बाद भी अधिसूचना जारी नहीं होने पर चार सिडिकेट सदस्यों ने सामूहिक रूप से पत्र देकर कुलपति के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। लेकिन, तब भी मामले को दबाने का प्रयास किया गया था। इसके बाद तीन अगस्त को आयोजित सिडिकेट में इस मामले को लेकर सदस्यों ने जोरदार हंगामा भी किया था। धारा 11 के तहत आपत्ति दर्ज कराई और कुलपति समेत विवि प्रशासन पर कार्यवृत के साथ छेड़छाड़ करने व गलत नियुक्ति को बचाने का आरोप लगाते हुए विरोध दर्ज कराया था। काफी विरोध के बाद कार्यवृत में संशोधन करते हुए अधिसूचना जारी करने का निर्णय लिया गया था और आखिरकार छह अगस्त को अधिसूचना जारी कर दी गई थी।

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जांच कमेटी ने मांगें थे कई दस्तावेज :

जांच के क्रम में कमेटी विवि प्रशासन से कई दस्तावेज मांग चुकी है। इसके तहत सहायक कुलसचिव पद पर नियुक्ति के संबंध में कुल 13 दस्तावेज मांगे गए थे। वहीं, आउटसोर्स पर बहाली के संबंध में पांच और दूरस्थ शिक्षा निदेशालय को संबद्ध इकाई बनाने के प्रयास के संबंध में चार दस्तावेज तलब किए गए थे। दस्तावेजों से संबंधित एक फाइल तो जांच कमेटी को सुपुर्द की गई, लेकिन सूत्रों की मानें तो इसमें कई दस्तावेज नहीं हैं।

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पद सृजन के संबंध में ली जाएगी जानकारी :

प्रतिकुलपति प्रो. जय गोपाल की अध्यक्षता में आयोजित जांच कमेटी की बैठक में पद सृजन का दस्तावेज नहीं मिलने पर तय हुआ था कि इसके संबंध में निदेशक से पूछा जाए कि पद सृजन हुआ तो कब और कैसे हुआ। क्या उसका अनुमोदन लिया गया और क्या कुलसचिव ने पद सृजन की अधिसूचना जारी की थी। जांच के क्रम में सेलेक्शन कमेटी के गठन पर भी कई सवाल उठे। तय हुआ कि सेलेक्शन कमेटी, पद सृजन, आयु, आरक्षण, योग्यता आदि बिदुओं पर कमेटी के तीन सदस्य दस्तावेजों का अध्ययन कर अगली बैठक में अपनी रिपोर्ट रखेंगे। इन सदस्यों में कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय, सिडिकेट सदस्य डॉ. हरिनारायण सिंह व कुलानुशासक डॉ. अजीत सिंह व एमएलसी डॉ. दिलीप कुमार चौधरी शामिल है।

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