साइंस, सरकार और सोसायटी मिलकर करेंगे काम तो नतीजे आएंगे बेहतर : पीएम

दरभंगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन खेती ही नहीं बल्कि हमारे पूरे इको सिस्टम के लिए चुनौती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 12:30 AM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 12:30 AM (IST)
साइंस, सरकार और सोसायटी मिलकर करेंगे काम तो नतीजे आएंगे बेहतर : पीएम
साइंस, सरकार और सोसायटी मिलकर करेंगे काम तो नतीजे आएंगे बेहतर : पीएम

दरभंगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन खेती ही नहीं, बल्कि हमारे पूरे इको सिस्टम के लिए चुनौती है। मौसम में बदलाव से हमारा मत्स्य उत्पादन, पशुओं का स्वास्थ्य और उत्पादकता बहुत ज्यादा प्रभावित होती है। इसका नुकसान किसानों को और मछुआरे साथियों को उठाना पड़ता है। जलवायु परिवर्तन के कारण जो नए प्रकार के कीट, नई बीमारियां, नई महामारियां आ रही हैं, इससे इंसान और पशुधन के स्वास्थ्य पर भी बहुत बड़ा संकट आ रहा है। फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। इन पहलुओं के ऊपर गहन रिसर्च करने की जरूरत है। जब साइंस, सरकार और सोसायटी मिलकर काम करेंगे तो उसके नतीजे और बेहतर आएंगे। किसानों और वैज्ञानिकों का ऐसा गठजोड़ नई चुनौतियों से निपटने में देश की ताकत बढ़ाएगा। जिला स्तर पर साइंस आधारित ऐसी कृषि माडल खेती को अधिक प्रोफेशनल अधिक लाभकारी बनाएंगे। वो मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र जाले में आयोजित 'जलवायु अनुकूल खेती विषयक' किसान वैज्ञानिक समागम कार्यक्रम में किसान और वैज्ञानिकों को आनलाइन संबोधित कर रहे थे।

कहा- आज जलवायु परिवर्तन से बचाव करने की तकनीक और अन्य प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करने के लिए जो अभियान आज लांच किया गया है, उसके मूल में यहीं भावना है। ये वो समय है जब हमें बैक टू बेसिक और फास्ट फार फ्यूचर दोनों में संतुलन साधना है। बैक टू बेसिक का मतलब हमारी पारंपरिक कृषि की उस ताकत से है, जिसमें आज की अधिकतर चुनौतियों से निबटने का सुरक्षा कवच था। पारंपरिक रूप से हम खेती, पशुपालन और मत्स्य पालन एक साथ करते आए हैं। आज इसके अलावा एक साथ एक ही खेत में एक ही समय पर कई फसलों को उगाया जाता है। पहले हमारे देश की खेती एग्रीकल्चर मल्टीकल्चर थी। धीरे-धीरे ये मोनो कल्चर में चली गई। आज जब जलवायु परिवर्तन की चुनौती बढ़ रही तो हमें अपने कार्यों की गति को बढ़ाना होगा। बीते सालों में इसी भावना को हमने किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए भी प्रोत्साहित किया है। किसान को सिर्फ फसल आधारित इनकम सिस्टम से निकालकर उन्हें वैल्यू एडीशन और खेती के अन्य विकल्पों के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। छोटे किसानों को इसकी बहुत जरूरत है। इसलिए हमने पूरा ध्यान सौ में से अस्सी जो छोटे किसानों पर लगाना ही है। हमारे किसानों के लिए खेती के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्य पालन के साथ-साथ मधुमक्खी पालन, खेतों में सौर्य ऊर्जा से विद्युत उत्पादन, कचरे से कंचन यानि इथनॉल, ऐसे विकल्प भी देश के किसानों को दिए जा रहे हैं।

मौसम की स्थानीय परिस्थिति के अनुसार फसलों का उत्पादन हमारी ताकत है। पारंपरिक कृषि की एक और ताकत है। जहां सूखा रहता है वहां उस तरह की फसलों का उत्पादन होता है। जहां बाढ़ होता, पानी होती है वहां उस हिसाब से फसल उगाए जाते हैं। पीएम ने किसानों को कई अन्य मुद्दों पर जानकारी दी।

प्रधानमंत्री ने लाइव संबोधन में प्रगतिशील किसानों से उनकी उपलब्धियों और चुनौतियों के बारे में भी जाना। कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर उन्नत कृषि के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करना है। इस दिशा में सरकार निरंतर कार्य कर रही है। इस वर्चुअल लाइव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने महिला किसानों की उपलब्धि को नमन करते हुए उन्हें बधाई दी। संबोधन से पहले प्रधानमंत्री ने कृषि के क्षेत्र में कई उन्नत प्रभेदों का लोकार्पण भी किया।

स्थानीय अधिकारी व वैज्ञानिकों ने दी किसानों की जानकारी मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी दीनबंधु दिवाकर ने जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखकर वैकल्पिक फसल उन्नत तकनीक एवं यंत्रों का प्रयोग करने की सलाह किसानों को दी। कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डा. दिव्यांशु शेखर ने जलवायु अनुकूल खेती कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा चलाए जा रहे प्रयासों की जानकारी किसानों को दी। साथ ही भविष्य के कार्यक्रम की रूपरेखा की जानकारी भी उपलब्ध कराई। बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा फोर्टीफाइड प्रभेद का भी प्रथम पंक्ति प्रत्यक्षण विभिन्न किसानों के यहां कराया जा रहा है। इससे किसानों की उत्पादकता के साथ-साथ उनके उत्पाद की गुणवत्ता भी बढ़ेगी तथा इसके प्रयोग से कृषक परिवार का स्वास्थ्य बेहतर होगा।

जलवायु अनुकूल खेती में शामिल किए गए 670 किसान

कार्यक्रम का संचालन कर रहे डा. आरपी प्रसाद ने कहा की कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा दरभंगा के जाले रतनपुर ब्रह्मपुर राढ़ी एवं सनहपुर गांव में यह परियोजना 670 किसानों के बीच चलाई जा रही है, जो अगले 4 वर्षों तक चलेगी तथा इन्हें देखकर अन्य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डा. एपी राकेश ने मृदा स्वास्थ्य एवं खरीफ फसल प्रबंधन में आ रहे जलवायु चुनौतियों एवं वैकल्पिक तकनीक की जानकारी किसानों को दी।

मौके पर क्षेत्र प्रबंधक डा. चंदन एवं आत्मा एटीएम अभिषेक कुमार ने किसानों को केंद्र द्वारा चल रहे जलवायु अनुकूल खेती का प्रक्षेत्र भ्रमण कराया। कार्यक्रम में गृह वैज्ञानिक डा. सीमा प्रधान, डा. अंबा कुमारी, जीविका बीपीएम अमित कुमार समेत बड़ी संख्या में प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।

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