जिप सदस्य रूमी की मौत पर उबाल, मालती देवी ने सदस्यता से दिया इस्तीफा
जला परिषद सदस्य जमाल अहतर रूमी की मौत मामला अब तूल पकड़ने लगा है। जला परिषद सदस्य जमाल अहतर रूमी की मौत मामला अब तूल पकड़ने लगा है।
दरभंगा। जिला परिषद सदस्य जमाल अहतर रूमी की मौत मामला अब तूल पकड़ने लगा है। घटना में प्रशासनिक उदासिनता के खिलाफ गुरुवार को जाले के जिला परिषद सदस्य मालती देवी सिंह ने अध्यक्ष गीता देवी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद जिला परिषद में हड़कंप मच गया। मामले को देखते हुए डीडीसी ने एक सप्ताह के अंदर विशेष बैठक बुलाने की बात कही है। मालती को कई लोगों ने मनाने की कोशिश की। लेकिन, उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब सदन के सदस्यों की इज्जत ही नहीं बचेगी तो पद लेकर क्या करेंगे। जनता की बदौलत जनप्रतिनिधि बनकर सदन में पहुंचे हैं। जहां अधिकारी उनके सुनते ही नहीं है। सिंहवाड़ा के सदस्य जमाल अतहर रूमी को कोरोना नहीं था। पर उसे डीएमसीएच में कोरोना वार्ड में भर्ती कर दिया गया। उन्हें साजिश का शिकार बनाया गया। मौत होने पर जैसे-तैसे शव का ठिकाना लगा दिया गया। दोषी लोगों ने स्वजनों पर प्राथमिकी दर्ज करा दी। पूरी घटना में जनप्रतिनिधियों की इज्जत को तार-तार कर दिया गया। पदाधिकारी देखते रहे। रूमी की मौत की जांच अथवा ठोस कार्रवाई करने की बात तो दूर संबंधित अधिकारी ने अब तक संवेदना व्यक्त करना भी मुनासीब नहीं समझा। सदन में शोकसभा तक आयोजित नहीं हुई। मालती ने अपने इस्तीफा में डीडीसी, पीएचइडी, आरडब्ल्डी अभियंता आदि कई अधिकारियों पर गंभीर सवाल उठाया है। कहा कि समस्या सुनने वाले कोई नहीं हैं। डीएम भी फोन नहीं उठा रहे हैं। ऐसे में मुझे पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। जब सदन के सदस्यों की गरिमा और प्रतिष्ठा ही नहीं बचेगी तो सदन में बने रहने का कोई औचित्य नहीं बचता है। जिला योजना समिति की अब तक कोई बैठक नहीं बुलाई गई।
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जिप की बैठक में जिला स्तर के कोई पदाधिकारी नहीं लेते भाग :
जिप की बैठक में जिला स्तर के कोई पदाधिकारी भाग नहीं लेते हैं। कोरोना और बाढ़ से आम लोग परेशान हैं। क्षेत्र में जनता अपने प्रतिनिधियों को तलब कर रहे हैं और अधिकारियों को इससे कोई मतलब नहीं है। ऐसी स्थिति में जनता के दर्द को हाकिमों तक पहुंचाना मुश्किल हो गया है। आरडब्ल्यूडी और पीडब्ल्यूडी से बनने वाली सड़क, पुल-पुलिया के उद्घाटन और शिलान्यास पट्ट पर सदन के निर्णय के बाद भी सदस्यों का नाम अंकित नहीं किया जा रहा है। विकास कार्यों से दूर रखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में पद पर बने रहने की कोई इच्छा नहीं है। जब जनता का कोई काम नहीं कर सकते हैं तो ऐसे पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं बनता है।