स्वतंत्रता सेनानी शहीद सूरज नारायण सिंह को मिले भारत रत्न की उपाधि

दरभंगा। शहीद सूरज नारायण सिंह विचार मंच की ओर से बंगाली टोला स्थित प्रोफेसर कॉलोनी में

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 12:23 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 12:23 AM (IST)
स्वतंत्रता सेनानी शहीद सूरज नारायण सिंह को मिले भारत रत्न की उपाधि
स्वतंत्रता सेनानी शहीद सूरज नारायण सिंह को मिले भारत रत्न की उपाधि

दरभंगा। शहीद सूरज नारायण सिंह विचार मंच की ओर से बंगाली टोला स्थित प्रोफेसर कॉलोनी में शहीद सूरज नारायण सिंह की जयंती मनाई गई। शहीद सूरज नारायण सिंह विचार मंच के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि मधुबनी जिला के नरपति नगर गांव में 17 मई 1907 को एक निर्भीक और क्रांतिकारी सूरज नारायण सिंह का जन्म हुआ था। सूरज बाबू स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाने से लेकर किसान और मजदूरों के हित एवं स्वाभिमान की रक्षा के लिए जीवन पर्यंत समर्पित रहे। उन्होंने समतामूलक समाज का सपना देखा था, जहां आर्थिक गैर बराबरी के लिए कोई स्थान ना हो। उनका विचार था कि जब तक ग्रामीण जनता की आर्थिक ,सामाजिक दशा में सुधार नहीं होगा ,उन्हें विकास का उचित अवसर नहीं मिलेगा। भारत के सर्वांगीण विकास संभव नहीं हो सकेगा।

14 साल की उम्र में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण उनका नाम स्कूल से काट दिया गया तो 1921 में वह अपनी शिक्षा पूरी करने बनारस के काशी विद्यापीठ पहुंचे थे। इसी बीच वह भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त आदि को ट्रेनिग देने वाले मुजफ्फरपुर के क्रांतिकारी योगेंद्र शुक्ल के संपर्क में आए। 1931 में भगत सिंह के फांसी की सजा ने उनकी जीवन रेखा बदल दी। वह सब कुछ छोड़कर क्रांतिकारी गतिविधियों में लिप्त हो गए। आजादी के बाद सूरज नारायण सिंह अधिकतम समय किसान और मजदूरों के लिए आंदोलन करते थे। वे हिद मजदूर सभा के अध्यक्ष के रूप में मजदूरों के हक के लिए लड़ने लगे थे। सन् 1973 में सूरज नारायण सिंह के नेतृत्व में रांची के उषा मार्टिन कंपनी के मजदूरों ने अपने वाजिब मांगों के लिए हड़ताल की थी। उक्त हड़ताल पर पुलिसिया दमन और लाठीचार्ज के बाद वे शहीद हो गए। प्रो. अशोक ने कहा ऐसी शहीद वीर सपूतों को सरकार भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करे। छात्र नेता शंकर सिंह, सागर सिंह, नवनीत सिंह ,पुरुषोत्तम कुमार चौधरी, मुजम्मिल रजा आदि ने कहा कि किसान और मजदूर के नेता शहीद सूरज नारायण सिंह के स्मृति में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में एक चेयर की स्थापना और उनके आदम कद प्रतिमा दरभंगा शहर में लगाया जाए।

chat bot
आपका साथी