फुटपाथों का अतिक्रमण कर मजे से कर रहे कमाई
प्रतिदिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण राहगीरों का सड़कों पर पांव पैदल चलना है।
दरभंगा। प्रतिदिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण राहगीरों का सड़कों पर पांव पैदल चलना है। आबादी के साथ-साथ सड़कों पर गाड़ियों की संख्या में तो एक तरह वृद्धि निरंतर जारी रही, लेकिन वहीं दूसरी ओर सड़कें पहले की अपेक्षा और भी सिकुड़ती चली गई। यूं कहें कि सरकारी सड़कों का लोगों ने धीरे-धीरे अतिक्रमण करना शुरु कर दिया। संबंधित विभाग और पुलिस-प्रशासन की निष्क्रियता के कारण राहगीरों के चलने के लिए सड़क किनारे बनाए गए फुटपाथों का आज कहीं नामोनिशान नहीं रहा। लोगों ने फुटपाथ को अतिक्रमित कर उसपर अवैध रूप से व्यापार करना शुरू कर दिया है। शहरी क्षेत्र के दरभंगा टावर से सुभाष चौक जाने वाली सड़क पर दोनों तरफ राहगीरों के चलने के लिए फुटपाथ तो बनाए गए, लेकिन दुकानदारों ने इस फुटपाथ को अतिक्रमित कर उसपर दुकानदारी शुरू कर दी। फुटपाथ पर सामान को रख दिया जाता है। लिहाजा, चलने के लिए सड़कें ही एकमात्र विकल्प रह जाता है। हालांकि दबी जुबान से कुछ लोगों ने बताया कि पुलिस-प्रशासन की शह पर दुकानदार फुटपाथ पर दुकानदारी कर रहे हैं। कहते हैं बुजुर्ग
नगर निगम और जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण शहर की ऐसी स्थित बनी हुई है। दूसरी सबसे बड़ी गलती आम लोगों की भी है। जब तक हम जागरुक नहीं होंगे, तब तक समस्या बरकरार रहेगी। कोई इन चीजों का खुलकर विरोध नहीं करता। दुकानदार अपनी मनमानी करते है।
जगदीश मिश्र।
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सड़कों पर आप पांव पैदल नहीं चल सकते। व्यस्त इलाकों को देखें तो सड़कों पर जहां-तहां गाड़ियां खड़ी कर लोग खरीदारी करने चले जाते हैं। दुकानदार सड़कों तक अपना सामान फैलाए रखते हैं। जो बाकी बची सड़कें है, उनपर गाड़ियां और पांव पैदल राहगीर चलते रहते हैं। इससे दुर्घटना की हमेशा आशंका बनी रहती है।
प्रो. विनोदानंद झा
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लोगों के पैदल चलने के लिए शहर में कहीं भी फुटपाथ की व्यवस्था नहीं है। जहां है भी वहां दुकानदारों ने इसे भी अतिक्रमित कर रखा है। कोई सुनने वाला नहीं है। नगर निगम प्रशासन और पुलिस-प्रशासन मूकदर्शक बने हुए हैं। ऐसे में स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है।
अमरनाथ झा
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शहर में कोई सिस्टम ही नहीं है। न तो पार्किंग की न तो फुटपाथ की। सड़कों की चौड़ाई दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। आबादी के बोझ के तले सड़कें छोटी सी प्रतीत होती हैं। मुख्य बाजार सहित मुख्य सड़कों पर पांव पैदल चलना दूभर है। कभी-कभी तो सोचना पड़ता है, जाएं भी जो जाएं कैसे?
प्रो. बैद्यनाथ झा।