कार में एसी और हीटर चलाते वक्त कार के शीशे को पूरी तरह नहीं करें बंद

सड़कों पर गाड़ी चलाते आमतौर पर चालक कई प्रकार की असावधानी बरतते हैं। जिसके बड़े गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 01:09 AM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 01:09 AM (IST)
कार में एसी और हीटर चलाते वक्त कार के शीशे को पूरी तरह नहीं करें बंद
कार में एसी और हीटर चलाते वक्त कार के शीशे को पूरी तरह नहीं करें बंद

दरभंगा । सड़कों पर गाड़ी चलाते आमतौर पर चालक कई प्रकार की असावधानी बरतते हैं। जिसके बड़े गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं। आज सड़कों पर एक से बढ़कर एक उपकरणों से लैस कई कंपनियों की गाड़ियां दौड़ रही हैं। फीचर्स और स्पीड के शौकीन लोग महंगी गाड़ियों का इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों को गाड़ी में लगे सुरक्षा उपकरणों और उनके उपयोग की विधि पता ही नहीं होती। आज सभी प्रकार की गाड़ियों में एसी और हीटर लगा हुआ होता है। जो ठंड और गर्मी के दिनों में लोगों को राहत प्रदान करता है। एक ओर जहां इसके फायदे है, वहीं नुकसान भी है। ऐसे में वाहन चालकों का जागरूक होना जरूरी है।

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दम घुटने से हो जाती है मौत

वर्ष 2017 में ऐसा ही एक हादसा हुआ। एक शख्स शाम को अपनी कार को बिना लॉक किए घर चला गया। वहां दो बच्चे आए और कार के अंदर बैठकर दरवाजा बंद कर लिया। करीब छह घंटे बाद लोग उन्हें ढूढ़ते हुए कार के पास पहुंचे। लेकिन तब तक दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी। कुछ ऐसा ही मामला दिल्ली कैंट में कैट¨रग का काम करने वाले छह कर्मचारियों के साथ हुआ। ठंड से बचने को कैंटर में तंदूर रख दरवाजा अंदर से बंदकर सो गए। कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के कारण सभी की दम घुटने से मौत हो गई।

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अधिकांश मामलों में हो जाती है मरीज की मौत

डीएमसीएच के डॉ मनीष कुमार कहते हैं कि कार्बन मोनोऑक्साइड गैस सांस के साथ शरीर में प्रवेश करती है और सीधे हीमोग्लोबिन से जाकर जुड़ जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज के शरीर में काफी प्रेशर के साथ ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है। ताकि कार्बन मोनोऑक्साइड को खत्म किया जा सके। हालांकि यह काफी मुश्किल होता है, जिस कारण अधिकांश मामलों में मरीज की मौत हो जाती है।

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जानलेवा भी है एसी और हीटर

कार में इंजन के कारण कार्बन मोनोऑक्साइड गैस इकठ्ठी हो जाती है, जिसके कारण सांस लेने में परेशानी हो जाती है। कई बार दम घुटने से व्यक्ति की मौत हो सकती है। दरअसल एसी व हीटर चलाने के दौरान लोग कार के शीशे पूरी तरह बंद कर लेते है। ऐसे में सांस के द्वारा छोड़ी कार्बन डाईऑक्साइड गैस व इंजन से निकली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस की मात्र कार में बढ़ने लगती है। कार में सोए हुए व्यक्ति को इस बात का बिल्कुल भान नहीं रहता कि उसके शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो रही है। विशेषकर आस्थमा व दमे के मरीज जल्दी इससे प्रभावित होते हैं।

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बचाव जरूरी

कार में एसी व हीटर चलाकर सोने से पहले थोड़ा सा शीशा खोल लें, ताकि साफ हवा कार में प्रवेश करती रहे। एयर कंडीशन से कार के अंदर तो ठंडक का माहौल हो जाता है, लेकिन इसकी वजह से इंजन काफी गर्म हो जाता है। जिससे कई बार हादसा भी हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि हर छह माह के अंतराल पर कार के एसी की जांच कराएं। कोशिश करें कि कार के अंदर न सोएं, यदि आप सो रहे हैं तो हीटर के आसपास एक बर्तन में पानी भरकर रख दें। ताकि भाप के साथ वह पानी कार में नमी को बरकरार रखे।

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20 डिग्री तक बढ़ जाता है तापमान

खुले आसमान के नीचे धूप के सीधे संपर्क में खड़ी गाड़ी के अंदर का तापमान केवल दस मिनट में 20 डिग्री तक बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में कार के अंदर का तापमान तेजी से बढ़ता है। ऐसी परिस्थिति में कार में बैठे छोटे बच्चे हीट स्ट्रोक का जल्दी शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा सांस के साथ कार में कार्बन डाईऑक्साइड एकत्रित होता रहता है। ऐसी स्थिति में बच्चा बेहोश हो जाता है। कई मामलों में बच्चे की जान भी जा सकती है।

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शीशा खोला तो बची जान

बाकरगंज के प्रमोद शरण ने बताया कि सफर के दौरान एक बार वे कार में ही एसी चलाकर सो गए। इस दौरान कार का शीशा पूरी तरह से बंद था। उनकी आंख कब लग गई पता नहीं चला। कुछ देर के बाद उनको ऐसा लगा कि उनका दम घुट रहा है। तब जाकर उन्होंने गाड़ी का इंजन बंद किया और शीशा खोला। इसके बाद उनकी जान बची। बेंता के संतोष कुमार पंडित ने बताया कि कार में हीटर के उपयोग के दौरान काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। अगर आप दमा या फिर अन्य बीमारियों के शिकार है तो सोच-समझकर इसका प्रयोग करें। अन्यथा आपकी जान पर बन सकती है। मिश्रटोला के रंजय कुमार मिश्र ने बताया कि एक बार गलती से उन्होंने सफर के दौरान अंगीठी गाड़ी में रख ली थी। जलती हुई अंगीठी से सीट कवर में आग पकड़ लिया। किसी तरह आग पर काबू पाया गया। तब जाकर सबकी जान बची।

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