मानकों की अनदेखी कर बनाए गए डिवाइडर बन गए 'मौत' के डिवाइडर

दरभंगा। शहरी क्षेत्र में यातायात को सुचारु ढंग से संचालित करने के लिए कई डिवाइडरों का ि

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 12:45 AM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 12:45 AM (IST)
मानकों की अनदेखी कर बनाए गए डिवाइडर बन गए 'मौत' के डिवाइडर
मानकों की अनदेखी कर बनाए गए डिवाइडर बन गए 'मौत' के डिवाइडर

दरभंगा। शहरी क्षेत्र में यातायात को सुचारु ढंग से संचालित करने के लिए कई डिवाइडरों का निर्माण कराया गया। लेकिन, इनका निर्माण मानकों के अनुरुप नहीं किया गया है। लिहाजा, आए दिन यहां दुर्घटना होती रहती है। खासकर रात के अंधेरे में। शहरी क्षेत्र के बाघ मोड़, बेला मोड़, दोनार, अल्लपट्टी आदि स्थानों पर बने डिवाइडर ''''''''मौत'''''''' के डिवाइडर साबित हो रहे है। वर्षों पूर्व निर्माण कराए गए इन डिवाइडरों पर ना तो रेडियम की परत चढ़ी हुई है ना तो इनका रंग-रोगन किया गया है। बेला और बाघ मोड़ पर घुमावदार सड़क के पास ही डिवाइडर बना दिए गए है। रात के वक्त यदि कोई वाहन टर्न लेता है तो वह सीधे डिवाइडरों से टकराकर क्षतिग्रस्त हो जाता है। स्थिति यह है कि क्षतिग्रस्त होते-होते डिवाइडर से सरिया सड़क के दोनों किनारे निकल गया है। लेकिन, इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। ठंड के दिनों में कोहरा के कारण ये दिखाई नहीं देते और चालक समतल सड़क समझ इन्हीं पर गाड़ी चढ़ा देता है। कई बार हादसे हुए। कई लोग घायल हुए। गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुई। लेकिन, इन्हें दुरुस्त करने के बजाए पुलिस गाड़ियों को खींचकर थाने ले जाती है। यहीं सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है। नगर निगम प्रशासन की उदासीनता के कारण इसका कायाकल्प नहीं हो रहा है। ना ही इसकी ओर निगम का ध्यान है। कादिराबाद निवासी रोहित सिंह ठाकुर, नुसरत आलम, केदार गुप्ता आदि ने बताया कि मानकों की अनदेखी कर डिवाइडर का निर्माण कराया गया है। बार-बार डिवाइडर से टकराकर गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो रही है। लेकिन, टूटे डिवाइडरों को बनाने की बजाए वैसे ही छोड़ दिया गया है। डिवाइडर निर्माण में लगाई गई सरिया अब सड़क की ओर निकल गई है। इससे भी दुर्घटना की संभावना बनी हुई है। दूसरी ओर, तीखे मोड़ के पास ही बाघ मोड़ और बेला मोड़ पर डिवाइडर का निर्माण करा दिया गया है। यह तो और भी खतरनाक है। खासकर बाहर से आने वाले वाहन, जो शहर में पहली बार इंट्री कर रहे है, उनके लिए यह काल साबित हो रहा है। कई बार लोगों की जान जाते-जाते बची है। समय रहते घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है। पुलिस तो मात्र गाड़ियों को खींच कर थाने में लगा देती है। बाद में उनसे जुर्माना वसूल कर छोड़ती है।

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