विद्यापति की जन्मस्थली को गोद लेगा सीएम कॉलेज

दरभंगा। सीएम कॉलेज में बुधवार को विद्यापति स्मृति पर्व समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Dec 2020 12:50 AM (IST) Updated:Thu, 17 Dec 2020 12:50 AM (IST)
विद्यापति की जन्मस्थली को गोद लेगा सीएम कॉलेज
विद्यापति की जन्मस्थली को गोद लेगा सीएम कॉलेज

दरभंगा। सीएम कॉलेज में बुधवार को विद्यापति स्मृति पर्व समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में सिक्की कला समेत अन्य प्रदर्शनी लगाए गए थे। मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रो. भीमनाथ झा ने कहा कि विद्यापति ने आशा व मानव उत्थान के संदेश के साथ हमें कर्म की शिक्षा दी है। विद्यापति का वर्णन हरि अनंत हरि कथा अनंता स²श्य है। विद्यापति की शब्द साधना सिर्फ इस क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सुदूर तक गई है। प्राचार्य प्रो. विश्वनाथ झा ने कहा कि विद्यापति के श्रृंगारिक एवं भक्ति-भाव की कविता में प्रेम-भाव भरा पड़ा है। हमें परिवार, समाज, राष्ट्र तथा साहित्य से स्नेह करना चाहिए जो हमेशा आनंदित करते हैं। कहा कि विद्यापति जन्मस्थल बिस्फी को सीएम कॉलेज द्वारा गोद लिया जाएगा। कॉलेज परिवार वहां सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक सहित सभी समस्याओं का मिलकर निदान करेगा। विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग की पूर्व अध्यक्षा प्रो. लावण्य कीर्ति सिंह ''''काव्या'''' ने कहा कि विद्यापति किसी खास क्षेत्र या भाषा के ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कवि थे। विद्यापति साहित्य एवं संगीत को सामान्य एवं अशिक्षित व्यक्ति भी बहुत अच्छी तरह जानता व समझता है। इसी कारण उनके लोकगीत, लोक संगीत एवं साहित्य जन-जन में व्याप्त हैं। बताया कि विद्यापति की रचनाओं में लोकधुन, लोकवाद्य-यंत्रों की काफी चर्चा है। मैथिली विभाग के प्राध्यापक प्रो. अशोक कुमार मेहता ने कहा कि सभी व्यक्तियों को विद्यापति साहित्य एवं संगीत को पढ़ने- समझने की आज जरूरत है। विद्यापति की रचनाएं श्रृंगार एवं भक्ति परक हैं, जो प्राकृत, मैथिली, संस्कृत तथा अबहट्ठ भाषा में रचित हैं। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत प्रो. विभूति आनंद ने कहा कि विद्यापति स्वयं आंदोलन स्वरूप हैं जो आज भी हमारा नेतृत्व कर रहे हैं। कहा कि मिथिला में मुगल के प्रभाव को कम करने करने के लिए आमलोगों को आंदोलित किया था। विद्यापति साहित्य आज भी सामायिक है। ऐसे आयोजनों से मैथिली का काफी विकास हुआ है और विद्यापति समारोह देश-विदेश में भी प्रसिद्ध हुआ है। अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. इंदिरा झा ने कहा कि कवि विद्यापति को मिथिला सहित बंगाल आदि भी अपना अधिकार मानता रहा है, जो उनकी लोकप्रियता का प्रतीक है। विद्यापति पर बंगाल का भी प्रभाव रहा है। विद्यापति की कुछ रचनाओं का अंग्रेजी अनुवाद हुआ है, पर आज जरूरत है उनकी सभी रचनाओं का अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं में अनुवाद हो।

समारोह में सिक्की कला की लगाई कई प्रदर्शनी

समारोह में सिक्की कलाकार राजेश कुमार द्वारा सिक्की कला द्वारा निर्मित विद्यापति सहित अन्य महापुरुषों के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई। पीजी संगीत विभाग के छात्रों द्वारा विद्यापति के गोसावनी गीत जय जय भैरवी असुर भयावन का गायन किया गया। प्रो. इंदिरा झा के संचालन में आयोजित समारोह में आगत अतिथियों का स्वागत संस्कृत विभागाध्यक्ष सह समारोह के संयोजक डा. आरएन चौरसिया ने किया। धन्यवाद ज्ञापन हिदी विभागाध्यक्ष प्रो. अखिलेश कुमार राठौर ने किया। समारोह में मैथिली विभागाध्यक्षा प्रो. रागनी रंजन, प्रो. मंजू राय,डॉ. प्रीति कनोडिया, प्रो. एहतेशामुद्दीन, डॉ. अब्दुल हई, डॉ. संजीत कुमार झा, डॉ. रूपेंद्र झा, डॉ. अखिलेश कुमार विभू, प्रो. अमृत कुमार झा, डॉ. विजयसेन पांडे, डॉ. संजय कुमार, डॉ. मनोज कुमार सिंह, प्रो. रीतिका मौर्य, प्रो. ललित कुमार,डॉ. डोगरा, नीरज कुमार, मो. मोवाज, राकेश कुमार, राजनाथ पंडित, पुरुषोत्तम कुमार चौधरी, मो. आफताब आलम, अरबाज खान, जयप्रकाश कुमार साहू, अंकित कुमार, विकास गिरी समेत अन्य मौजूद थे।

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