जहां लोक होंगे वहां विविधता होगी : कुलपति

दरभंगा। जहां लोक होंगे वहां विविधता होगी ही। लोक के साथ विविधता जुड़ी रहती है। विविधता

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 11:43 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 11:43 PM (IST)
जहां लोक होंगे वहां विविधता होगी : कुलपति
जहां लोक होंगे वहां विविधता होगी : कुलपति

दरभंगा। जहां लोक होंगे वहां विविधता होगी ही। लोक के साथ विविधता जुड़ी रहती है। विविधता में जो श्रेष्ठता है, वह लोक का निर्माण करती है। उक्त बातें मंगलवार को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग में लोक के विविध रंग विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कही। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि जो रंग हम देना चाहते हैं, वह कितना सुन्दर, हितकारी, दूरगामी होगा ये अलग-अलग पक्ष हैं। लेकिन वह रंग जो किसी के विचार में, सोच में नहीं आया हो वह सर्वोत्तम होगा। संगोष्ठी की संयोजिका प्रो. लावण्य कीर्ति सिंह काब्या ने विषय वस्तु पर प्रकाश डाला।

लोक गीतों को फिल्मों में भी अपनाया गया

सत्र की मुख्य अतिथि पद्मभूषण डॉ. शारदा सिन्हा ऑनलाइन जुड़ी थीं। उन्होंने लोक शैली की अनेक रचनाओं की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कहा कि लोकगीतों को फिल्मों में भी अपनाया गया है और उन्हीं धुनों पर फिल्मी गीतों को बनाया गया है। विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति प्रो. डाली सिन्हा ने कहा कि कला को विज्ञान के साथ जोड़कर देखने की जरूरत है। सेमिनार के दूसरे सत्र की मुख्य वक्ता प्रो. पंकज माला शर्मा ने कहा कि ऋग्वेद में करीब 30 बार लोक शब्द का प्रयोग हुआ है। लोक का अर्थ दर्शन से है।देखने से है। वेद का ज्ञान अलौकिक जो सकता है लेकिन इसकी रचना लौकिक है। ऋग्वेद और सामवेद तो विशिष्ट जनों तक सीमित रहा,अपने नियमों की जटिलता के कारण लेकिन अथर्ववेद सामान्य जनों तक रहा।

पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने गीतों के माध्यम से की व्याख्या

लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने संगोष्ठी में अपने गीतों के माध्यम से अति सुंदर व्याख्या लोक की तथा लोकगीतों में निहित लोकमंगल की भावना, परार्थ की भावना को बड़ी सहजता से समझाया। गीतों में महिलाओं के सशक्त रूप की चर्चा, संयुक्त परिवार की सुंदरता, तथा पारिवरिक रिश्तों की मधुरता को गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में लोक गायिका ने ऋतु गीत, सोहर विवाह गीत से संगोष्ठी में बैठे प्रतिभागियों और अतिथियों का मन मोह लिया। मौके पर विभाग की अध्यक्षा डॉ. ममता रानी ठाकुर, ललित कला संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. पुष्पम नारायण, संकायाध्यक्ष मानविकी प्रो. प्रीती झा, संकायाध्यक्ष विज्ञान प्रो. रतन कुमार चौधरी, विभागाध्यक्ष प्रो. एनके बच्चन, प्रो. जीतेंद्र नारायण समेत अन्य शोधार्थी, शिक्षक और अतिथि मौजूद थे।

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