डब्लूआइटी में प्लेसमेंट का ग्राफ पहुंचा सबसे नीचे, सत्र 2015-19 में सिर्फ एक छात्रा का हुआ प्लेसमेंट
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान (डब्लूआइटी) में प्लेसमेंट की गति काफी धीमी है। इस कारण यहां अध्ययनरत छात्राओं को भारी परेशानी हो रही है। याद रहे कि 2005 में भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम संस्थान के उद्घाटन के लिए व्यक्तिगत रूप से पहुंचे थे।
दरभंगा । डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान (डब्लूआइटी) में प्लेसमेंट की गति काफी धीमी है। इस कारण यहां अध्ययनरत छात्राओं को भारी परेशानी हो रही है। याद रहे कि 2005 में भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम संस्थान के उद्घाटन के लिए व्यक्तिगत रूप से पहुंचे थे। देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और मिथिला के लाल पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा का संस्थान के विकास में महत्ती भूमिका रही है। संस्थान ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से संबद्ध प्राप्त है। 2005 से पूर्व संस्थान को महिला प्रौद्योगिकी संस्थान के नाम से जाना जाता था। 2005 में संस्थान का नया नाम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान किया गया। इसके बाद संस्थान का गौरव और भी बढ़ गया। संस्थान के द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिग, जैव सूचना विज्ञान और मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) कोर्स संचालित है। उक्त सभी कोर्स में 150 सीटें निर्धारित है। बता दें कि 2005 से अबतक कॉलेज से 11 बैच पास आउट हुई है। इसमें लगभग 1650 छात्र-छात्राएं शामिल है। लेकिन अबतक सिर्फ 123 छात्राओं का ही प्लेसमेंट हुआ है।
सत्र 2015-19 में सिर्फ एक छात्रा का हुआ प्लेसमेंट, जबकि सत्र 2005-9 में सर्वाधिक 38 का हुआ था प्लेसमेंट
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान (डब्लूआइटी) में प्लेसमेंट का ग्राफ वर्तमान में सबसे नीचे है। सत्र 2015-19 में संस्थान से सिर्फ एक छात्रा शिवानी कुमारी का प्लेसमेंट हुआ है।जबकि इससे पूर्व प्लेसमेंट का ग्राफ ठीक-ठाक रहा है। बता दें कि संस्थान के प्रथम सत्र 2005-09 में सर्वाधिक 38 छात्राओं की प्लेसमेंट विभिन्न कंपनियों में हुई थी। इसके बाद से ही संस्थान में प्लेसमेंट का ग्राफ गिरता रहा।
ऐसे गिरा प्लेसमेंट का ग्राफ
सत्र 2005-09 में हुए छात्राओं की प्लेसमेंट की संख्या 38
सत्र 2006-10 में 11
सत्र 2007- 11 में 13
सत्र 2008-12 में 09
सत्र 2009-13 में 10
सत्र 2010-14 में 09
सत्र 2011-15 में 04
सत्र 2012-16 में 02
सत्र 2013- 17 में 09
सत्र 2014-18 में 16
सत्र 2015- 19 में 01
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