इस बार सरस्वती पूजा में स्कूल-कॉलेजों में दिखेगी सादगी

दरभंगा। सरस्वती पूजा को लेकर शहर से लेकर गांव तक तैयारी अंतिम चरण में है। इस बार कोि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Feb 2021 01:08 AM (IST) Updated:Mon, 15 Feb 2021 01:08 AM (IST)
इस बार सरस्वती पूजा में स्कूल-कॉलेजों में दिखेगी सादगी
इस बार सरस्वती पूजा में स्कूल-कॉलेजों में दिखेगी सादगी

दरभंगा। सरस्वती पूजा को लेकर शहर से लेकर गांव तक तैयारी अंतिम चरण में है। इस बार कोविड-19 को लेकर स्कूल-कलेज में धूमधाम की जगह सादगीपूर्ण तरीके से पूजा का आयोजन किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण जहां एक वर्ष से स्कूल-कॉलेज बंद थे। वहीं अब धीरे-धीरे स्कूल कॉलेज खुल रहे हैं। लेकिन निजी स्कूल प्रबंधकों की आर्थिक स्थित काफी खराब चल रही है। इसको लेकर जिले के अधिकांश स्कूलों में सरस्वती पूजा सामान्य तरीके से सादगीपूर्ण मनाने का फैसला लिया गया है। शहर के मौलागंज, किला रोड, एमएलएसएम कॉलेज रोड, नाका नंबर तीन समेत अन्य जगहों पर मूर्तिकार प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में लगे हैं। मौलागंज निवासी पूर्तिकार अवधेश पंडित बताते हैं, कि कोरोना संक्रमण के कारण इस बार मार्केट में मां सरस्वती की मूर्तियों के खरीदार कम पहुंचे रहे हैं। शहर में पांच सौ से लेकर 20 हजार रुपये तक की पूर्तियां बिक रही हैं। बसंत पंचमी की पूजा विधि भगवती सरस्वती के पूजन प्रक्रिया में सर्वप्रथम आचमन, प्राणायाम आदि के द्वारा अपनी बाह्याभ्यन्तर शुचिता संपन्न करें। फिर सरस्वती पूजन का संकल्प ग्रहण करें। इसमें देशकाल आदि का संकीर्तन करते हुए अंत में- 'यथोपलब्धपूजनसामग्रीभि: भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये' पढ़कर संकल्प जल छोड़ दें। इसके बाद श्रीगणेश की आदि पूजा करके कलश स्थापित कर उसमें देवी सरस्वती का सादर आह्वान करके वैदिक या पौराणिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए सामग्रियां भगवती को सादर समर्पित करें। पूजा के समय 'श्री हृ्रीं सरस्वत्यै स्वाहा' इस अष्टाक्षर मंत्र से प्रत्येक वस्तु क्रमश: श्रीसरस्वती को समर्पण करें। अन्त में देवी सरस्वती को आरती करके उनकी स्तुति करें।

इन श्लोकों से मां सरस्वती की करे पूजा

सरस्वतीं शुक्लवर्णा सस्मितां सुमनोहराम्।।

कोटिचन्द्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्। वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकधारिणीम्।। रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिमात्। सुपूजितां सुरणै‌र्ब्रह्मविष्णुशिवादिभ:।। वन्दे भक्त्या वन्दितां च मुनीन्द्रमनुमानवै:।।

------------ बसंत पंचमी में उपयोग होने वाले पूजा साम्रगी

पुस्तक और लेखनी (कलम) में देवी सरस्वती का निवास स्थान माना जाता है तथा उसकी पूजा की जाती है। माघ शुक्ल पंचमी को अनध्याय भी कहा गया है। मां सरस्वती की आराधना एवं पूजा में प्रयुक्त होने वाली उपचार सामग्रियों में अधिकांश श्वेत वर्ण की होती है। जैसे- दूध दही मक्खन धान का लावा, सफेद तिल का लड्डू, गन्ना, एवं गन्ने का रस, पका हुआ गुड़, मधु, श्वेद चंदन, श्वेत पुष्प, श्वेत परिधान, श्वेत अलंकार, खोवे का श्वेत मिष्टान, अदरक, मूली, शर्करा, सफेद धान के अक्षत, पके हुए केले, नारियल, नारियल का जल, श्रीफल आदि का उपयोग पूजा के दौरान किया जाता है।

सरस्वती पूजा की शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य डॉ. राम कुमार झा ने बताया कि इस बार सुबह 7:30 बजे से पहले और सुबह 9 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक पूजा करे का शुभ मुहूर्त है। इस काल में पूजा-पाढ़ करने से ऐसी मान्यता है कि विद्या-वैभव की प्राप्ति होती है। -

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