जैविक पदार्थों का अकार्बनिक नैनो कण के साथ संयोग से बनता है बायोकंजूगेटेड नैनो कण

स्थानीय एमएलएसएम कॉलेज में शनिवार को बायोकन्जूगेटेड नैनो स्ट्रक्चर विषय पर सेमिनार हुआ। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में एमएस विश्वविद्यालय बड़ौदा के नैनो वैज्ञानिक प्रो. पीके झा ने पावर प्वाइंट के माध्यम से नैनो विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 01:14 AM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 01:14 AM (IST)
जैविक पदार्थों का अकार्बनिक नैनो कण के साथ संयोग से बनता है बायोकंजूगेटेड नैनो कण
जैविक पदार्थों का अकार्बनिक नैनो कण के साथ संयोग से बनता है बायोकंजूगेटेड नैनो कण

दरभंगा । स्थानीय एमएलएसएम कॉलेज में शनिवार को बायोकन्जूगेटेड नैनो स्ट्रक्चर विषय पर सेमिनार हुआ। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में एमएस विश्वविद्यालय बड़ौदा के नैनो वैज्ञानिक प्रो. पीके झा ने पावर प्वाइंट के माध्यम से नैनो विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ग्राफिन कार्बन का एक नैनो रूप है। इसमें बहुत सारी खूबियां है एवं उपयोग भी हैं, लेकिन इसका दोष यह है कि अर्ध-चालक नहीं है। इसलिए, इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में इसका उपयोग नहीं हो सकता है। आजकल वैज्ञानिक ग्राफिन से भी अधिक उपयोगी नैनो पदार्थ बना रहे हैं। इसी कड़ी में बोरोन नाइट्राइड नैनोकण बनाया गया जो बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। जैविक पदार्थों का अकार्बनिक नैनो कण के साथ संयोग से बनने वाला पदार्थ बायोकन्जूगेटेड नैनो कण कहलाता है। यह पदार्थ बहुत ही चमत्कारी है। आज के दिनों मे नैनो मेडिसीन के क्षेत्र में इसका काफी उपयोग हो रहा है। प्रो. झा ने कहा कि नैनो विज्ञान एवं तकनीकी तेजी से आगे बढ़ा, क्योंकि इसके वैज्ञानिक सिद्धांतों की व्याख्या संभव हो सकी है। नैनो क्षेत्र में कैरियर के बेहतर अवसर :

विषय प्रवर्तन करते हुए रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष एवं मिथिला विवि के नैनो विज्ञान एवं तकनीकी अनुसंधान केंद्र के निदेशक प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा ने कहा कि एक मिलीमीटर के 10 लाखवें भाग को नैनोमीटर कहा जाता है। जिस पदार्थ का एक भी आयाम नैनोमीटर आकार का है उसे नैनो पदार्थ कहते हैं। आजकल नैनो पदार्थों ने मानव के सारे क्रियाकलापों को काफी प्रभावित किया है। साथ ही उनकी उपयोगिता बढ़ती जा रही है। विज्ञान के छात्रों के लिए करियर बनाने के लिए बहुत ही सुनहरा मौका नैनो क्षेत्र में है। पीजी केमिस्ट्री के सिलेबस में शामिल हुआ नैनो :

अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. विद्यानाथ झा ने कहा कि टिशू कल्चर के बाद अब नैनो विज्ञान में औषधियों के विकास की काफी संभावना है। प्रो. रतन कुमार चौधरी ने बताया कि नैनो विज्ञान के महत्व को देखते हुए पीजी केमिस्ट्री के नवीन पाठ्यक्रम में इसे शामिल कर दिया गया है। कार्यक्रम में प्रो. लोकनाथ झा, डॉ. अरमान आलम, डॉ. शौकत अंसारी, डॉ. बाबूनंद चौधरी, कृष्ण कुमार झा, अमरकांत कुमर, रमेश झा, एमएमआर नोमानी, ऋषिकेश पाठक, विभूति शेखर लालदास, माधव चौधरी, मंजू चतुर्वेदी, तीर्थनाथ मिश्र, आनंद मोहन मिश्र, शिवानी, अनिता, प्रतिभा समेत कई शिक्षक व छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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