सुहाग की रक्षा को महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा

बक्सर ज्येष्ठ मास की अमावस्या के अवसर पर गुरुवार को महिलाओं ने वट वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधक

By JagranEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 09:35 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 09:35 PM (IST)
सुहाग की रक्षा को महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा
सुहाग की रक्षा को महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा

बक्सर : ज्येष्ठ मास की अमावस्या के अवसर पर गुरुवार को महिलाओं ने वट वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर विधिवत पूजन-अर्चना की। साथ ही पति के दीर्घायु की कामना की। यह सिलसिला अल सुबह से लेकर पूर्वाह्न लगभग 11 बजे तक चलते रहा।

इस दौरान आसपास फलित वटवृक्ष की पूजा करने को लेकर अपने-अपने समयानुसार महिलाएं क्रमबद्ध थीं। कुछेक द्वारा फिजिकल डिस्टेंसिग को ध्यान में रखते हुए गमले में रोपे गए पौधे से ही इस परंपरा को विधिवत निभाया गया। वहीं, सोहनीपट्टी, चरित्रवन आदि एक-दो स्थलों पर एकाएक महिलाओं की संख्या अधिक जुट जाने से फिजिकल डिस्टेंसिग की धज्जियां भी उड़ते दिखी। यहां बता दें कि वट वृक्ष हमारे देश का राष्ट्रीय वृक्ष भी है, जो आक्सीजन के सबसे बड़े स्त्रोतों में से एक है। इसे हमारी संस्कृति में अक्षय वट भी कहा गया है। सनातन धर्म में वट वृक्ष के पूजन की परंपरा पुरानी है। उसी परंपरा को जीवंत करते हुए आज सौभाग्यवती महिलाओं ने शयन निद्रा के पश्चात सुबह नित्य क्रियाकर्म से निपटकर स्नान किये जाने के बाद इसकी पूजन करने की तैयारियों में जुट गई थीं। पूजा की बांस से बनी टोकरी में पूजन सामग्री के साथ-साथ सुहाग की सामग्री जैसे चूड़ी, बिदी, सिदूर, महावर आदि रखकर पास के वट वृक्ष के निकट पहुंची। जहां, महिलाओं ने विधिवत जल अर्पण करके सुहाग की सामग्री अर्पित कीं। वहीं, बरगद के पेड़ पर रक्षा सूत्र (कच्चा सूत) लपेट कर उसकी परिक्रमा कीं। इस अवसर पर महिलाओं ने सत्यवान और सती सावित्री की कथा का भी श्रवण किया। पौराणिक कथा प्रसंग है कि सावित्री ने अपने अल्पायु पति सत्यवान की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा की थी। मान्यता है कि बरगद के पेड़ की आयु सबसे अधिक होती है। इसी कारण लंबी आयु के प्रतीक वट वृक्ष की पूजा महिलाएं प्राचीनकाल से करती चली आ रही हैं।

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