दाह-संस्कार करने में असमर्थ स्वजनों ने गंगा में बहाये अपनों के शव
बक्सर कोरोना संक्रमण में जब लोग अपनों को खो रहे हैं तब मुक्तिधाम में लोगों की तकलीफों के
बक्सर : कोरोना संक्रमण में जब लोग अपनों को खो रहे हैं, तब मुक्तिधाम में लोगों की तकलीफों के सौदागर शवदाह में अपना मुनाफा ढूंढ़ रहे हैं। लकड़ी बेचने वालों से लेकर कर्मकांड कराने वालों फक्कड़ों और मुक्तिधाम के ठेकेदार लाश के नाम पर अपनी झोली भरते रहे। नतीजा, जो उनकी मुंहमांगी खर्च का वहन करने में असमर्थ रहे, उन्होंने अपने स्वजनों के शवों को मजबूरी में सीधे गंगा में प्रवाह कर दिया। एक सप्ताह के भीतर चौसा के महादेवा घाट पर दर्जनों शवों का जल प्रवाह किया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश को ताक पर रख गंगा में शवों के बहाए जाने से मोक्षदायिणी का पवित्र जल प्रदूषित हो रहा है। रविवार को जल-प्रवाह हुए शव गंगा के किनारे आकर लग गए, तब प्रशासन को इसकी जानकारी हुई।
गिद्ध और कुत्ते शवों को नोंच-नोंच कर अपना आहार बना रहे थे, जिससे कि वहां नजारा और भी वीभत्स हो गया था। मजे की बात तो यह है कि स्थानीय अधिकारियों की तरफ से भी गंदगी को साफ करने को लेकर कोई पहल नहीं की गई। ऐसे में गंदगी से परेशान हो चुके स्थानीय लोगों ने मीडिया को इस बात की जानकारी दी। चौसा प्रखंड के पवनी गांव के निवासी अनिल कुमार सिंह कुशवाहा ने बताया कि चौसा, मिश्रवलिया, कटघरवा समेत दर्जनों गांव के लोग घाट पर शवदाह के लिए आते हैं लेकिन, यहां की स्थिति देखकर अब वह दहशत से भर गए हैं। इतना ही नहीं गंगा नदी के किनारे बसे कई अन्य गांवों के लोग जो गंगा के जल का इस्तेमाल करते हैं वह भी यहां शवों का अंबार देख भयाक्रांत हो गए हैं। निश्चित रूप से इस तरह के स्थिति सामने आने के बाद अब दूसरे तरह की महामारी जन्म लेगी। गांव के लोगों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों के भीतर कई ऐसे लोग यहां आए जो शव को सीधे गंगा में प्रवाह कर चले गए। उन लोगों का कहना था कि जिसके शव का प्रवाह करने आए हैं, उसके इलाज में ही वे लोग टूट चुके हैं और इतने पैसे नहीं हैं कि श्मशाम घाट पर शव का विधिवत दाह संस्कार कर सकें।
मुक्तिधाम धाम में नहीं है विद्युत शवदाह गृह
बक्सर में चरित्रवन मुक्तिधाम में दाह संस्कार के लिए कई जिलों से लोग आते हैं, लेकिन यहां अबतक विद्युत शवदाह गृह नहीं बन सका। वर्तमान में नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा घाटों के सुंदरीकरण के लिए करोड़ों रुपयों का खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन विद्युत शवदाह गृह बनाए जाने की योजना केवल फाइलों में ही है। चौसा के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अश्विनी कुमार वर्मा बताते हैं कि मुक्तिधाम में विद्युत शवदाह गृह होता तो लोग मामूली खर्च में लोग शवों का दाह संस्कार कर सकते थे।
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इस तरह की स्थिति की जानकारी उन्हें भी मिली है, चौसा के अंचलाधिकारी को मौके पर भेजा गया है। वह साफ-सफाई के साथ-साथ आगे की कार्रवाई में लगे हुए हैं।
अमन समीर, जिलाधिकारी।
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चौसा श्मशान घाट पर हुआ रौशनी का प्रबंध
संवाद सहयोगी, चौसा (बक्सर) : चौसा श्मशान घाट में इन दिनों दिन के उजाले के अलावा रात्रि पहर में प्रतिदिन कुल 50 से 60 शव दाह संस्कार के लिए आ रहे हैं। जहां दाह संस्कार को आने वाले लोगों सुविधाओ का दंश झेलना पड़ रहा है। इसको लेकर किसी ने अनुमंडल पदाधिकारी केके उपाध्याय से शिकायत की गई थी।
जिसको लेकर अनुमंडल पदाधिकारी के निर्देश पर चौसा सीओ नवलकान्त द्वारा श्मशान घाट का निरीक्षण किया गया। जहां समस्या का निदान करते हुए। दो सफाई कर्मी, दो चौकीदार व एक किसान सलाहकार की प्रतिनियुक्ति की गई। जहां सफाई कर्मियों को दाह संस्कार के बाद राख हटाने व साफ-सफाई करने को निर्देश दिया। वहीं जरनेटर व लाइट की भी व्यवस्था कराई गई है। गौरतलब, हो कि कोरोना काल मे कोरोना व अन्य कारणों से लोगों की मौत में इजाफा हुआ है। सीओ ने कहा किसी भी हालत में गंगा में शव न बहाया जाए। अगर ऐसा कोई करता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।