आहर में डूबने से दो बच्चों की मौत, दो गांवों में मचा कोहराम
बक्सर सदर प्रखंड के बलुआ स्थित जेसीबी से काटे गए विशाल आहर में स्नान करने के दौरान अलग-
बक्सर : सदर प्रखंड के बलुआ स्थित जेसीबी से काटे गए विशाल आहर में स्नान करने के दौरान अलग-अलग गांवों के दो बच्चों की डूबने से मौत हो गई है। उनमें से एक बच्चे का शव सुबह पानी के उपर आने के बाद बरामद कर लिया गया, जबकि दूसरे की तलाश के लिए घंटों तक एनडीआरएफ की टीम और स्थानीय लोगों के भारी मशक्कत के करीब छह घंटे बाद शव बरामद किया जा सका। शव बरामद होने के बाद दोनों परिवारों को सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा 20-20 हजार का चेक दे दिया गया है।
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार लक्ष्मीपुर निवासी अजय राज का पुत्र अनुराग (12 वर्ष) और बलरामपुर निवासी सचिन राम का पुत्र रितिक कुमार (16 वर्ष) बुधवार की सुबह ही अपने-अपने घर से स्नान करने और मछली मारने के लिए बोलकर निकले थे। शाम तक उनके घर वापस नहीं लौटने पर घरवालों द्वारा दोनों बच्चों की खोजबीन शुरू की गई। तब जल्द ही अंधेरा घिर जाने के बाद आसपास के क्षेत्र में खोजबीन नहीं हो सकी। इस बीच सारी रात दोनों बच्चों के स्वजन लोगों से पूछताछ कर बच्चों के बारे में पता लगाते परेशान रहे। गुरुवार की सुबह बच्चे का शव पानी मे फूलकर जब गहरे आहर के पानी पर नजर आया तब ग्रामीणों को इसकी जानकारी मिली और आनन फानन में प्रशासन को इसकी सूचना दी गई। इस बीच बलरामपुर निवासी अनुराग का शव गोताखोरों द्वारा निकाल लिया गया, जबकि दूसरे की तलाश के लिए एनडीआरएफ की टीम घंटों जूझती रही। इस बीच तलाश करने में हो रही परेशानी को देखते हुए टीम द्वारा मोटरबोट मंगा कर फिर से तलाश किया जाने लगा। बावजूद कहीं शव नहीं मिलने पर स्थानीय लोगों ने अपने स्तर से प्रयास शुरू किया तब जाकर करीब छह घंटे बाद दुसरा शव बरामद किया जा सका। इस दौरान घटना की सूचना मिलते ही सदर बीडीओ दीपचंद जोशी द्वारा मृतक दोनों परिवारों के स्वजनों को पारिवारिक लाभ के तहत 20-20 हजार का चेक दिया गया है।
बताया जाता है कि उस क्षेत्र में कई ईंट चिमनी होने के कारण जेसीबी द्वारा मिट्टी की लगातार कटाई किए जाने से करीब 50 फिट गहरा विशाल गढ्ढा तैयार हो गया है। जिसमें बरसात का पानी भर जाने से उसकी गहराई का अनुमान नहीं हो पाने से यह हादसा हुआ है।
शाम से ही हो रही थी तलाश
दोनों बच्चे अपने घर से बुधवार की सुबह ही मछली मारने तथा स्नान करने की बोल कर घर से निकले थे। मछली मारने में अमूमन देर होने के कारण दिन भर घरवालों ने कोई खोज नहीं की। शाम होने के बाद भी जब बच्चे घर नहीं पहुंचे तब खोजबीन शुरू की गई। इस बीच जल्द ही अंधेरा छा जाने के कारण खोजबीन को रोक दिया गया। हालांकि, इस बीच दोनों के परिवार वाले गांव वालों के साथ ही आस-पास के गांव के लोगों से पूछताछ करने में लगे रहे।
शव फूलकर पानी पर आने के बाद पता चला
पहले तो किसी को पता भी नहीं था कि बच्चे डूब गए हैं। इस बीच 24 घंटे बाद जब उनमें से बलुआ निवासी अनुराग का शव पानी में फुलकर उपर आया तब सुबह लोगों को इसकी जानकारी मिली। शव मिलने की सूचना फैलते ही आस-पास के गांवों से हजारों की संख्या में लोग घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े। बावजूद इसके दूसरे बच्चे का शव तब तक नहीं मिलने से जिला प्रशासन को इसकी सूचना दी गई।
शव ढूंढने में एनडीआरएफ टीम रही असफल
घटना की जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर गोताखोरों के साथ एनडीआरएफी की टीम पहुंचकर अपने काम में जुट गई। गोताखोरों के प्रयास के बाद भी विशाल गड्ढे से शव बरामद नहीं होने पर टीम द्वारा मोटरबोट मंगाया गया। पर, वह भी आहर में हर जगह समान रूप से गड्ढा नहीं होने के कारण मोटरबोट बार-बार फंस जाने से टीम को भारी परेशानी हो रही थी। कराब छह घंटों की भारी मशक्कत के बाद भी शव नहीं मिलने पर आखिरकार एनडीआरएफ टीम ने हाथ खड़े कर दिए। तब स्थानीय लोगों ने मछली मारने वाली बड़ी बन्सी का सहारा लिया, और अपने स्तर से खोजबीन जारी रखी। इस बीच बन्सी में अचानक दूसरे बच्चे का शव फंस गया, तब जाकर उसे बाहर निकाला जा सका।
ईंट उद्योग ने तैयार किया मौत का सामान
बताया जाता है कि उस क्षेत्र में आस-पास ही कई सारे ईंट भट्ढे और चिमनी का संचालन होता है। इसके लिए किसी मानक का पालन नहीं किए जाने के कारण ईंट नेर्माण के लिए जेसीबी संचालक प्राय: एक ही स्थान से मिट्टी काटते चले गए थे। जिससे वहां करीब 30 से 50 फीट गहरा गड्ढा बन गया है। उसी में एक तो बरसात का पानी, दूसरे बाढ़ के दौरान ठोरा नदी का पानी प्रवेश कर जाने से विशाल गड्ढा उपर तक पानी से भर गया था, जिसमें डूबकर दोनों बच्चों की मौत हो गई।