सियपिय मिलन महोत्सव में राम रस की अमृत बूंद से पावन हो रही धरती

बक्सर धार्मिक नगरी बक्सर प 88 हजार ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है। इस तपोस्थली पर तीन दिनों

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 10:05 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 10:05 PM (IST)
सियपिय मिलन महोत्सव में राम रस की अमृत बूंद से पावन हो रही धरती
सियपिय मिलन महोत्सव में राम रस की अमृत बूंद से पावन हो रही धरती

बक्सर : धार्मिक नगरी बक्सर प 88 हजार ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है। इस तपोस्थली पर तीन दिनों से राम रस की अमृत बूंदों से धरती पावन हो रही है। बक्सर की धरती देश के कोने-कोने से पधारे साधु-संतों से उर्वर हो रही है। यहां प्रतिदिन अनवरत चल रहे करीब 17 घंटे के इस आनंदोत्सव में श्रद्धालु गोता लगा रहे हैं।

शहर के नया बाजार स्थित सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में श्रीसीताराम विवाह महोत्सव का आयोजन यहां प्रत्येक साल होता है। इस कारण हर कोई इस अमृत वर्षा में भींगने की अभिलाषा रखता है। करीब सत्रह घंटे चल रहे कार्यक्रम के दौर में दोपहर तीन बजे से श्रीअवध धाम से पधारे स्वामी (डा.) श्रीराघवाचार्य महाराज श्रीमद् वाल्मिकीय रामायण कथा प्रसंग की अमृत वाणी का सोपान करा ही रहे हैं। इस दौरान श्रद्धालु विश्व प्रसिद्ध वृंदावन की श्रीकृष्णलीला व श्रीरामलीला का जीवंत मंचन का भी लुत्फ ले रहे हैं। महोत्सव ण् में बच्चे से लेकर वृद्ध तक महिला-पुरुष सभी शामिल हो रहे हैं। खेल-खिलौने से लेकर चाट-पकौड़े, नाश्ता आदि के स्टाल भी लगे हुए हैं। आश्रम की ओर से महाप्रसाद ग्रहण करने की अलग से व्यवस्था भी की गई है। आश्रम के एक कारिदे ने बताया कि फिलहाल प्रतिदिन दोनों समय पांच से छह हजार भक्त प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। ''पुष्प वाटिका'' के दिन छह दिसंबर तथा आठ दिसंबर ''राम विवाह'' के आयोजन में यह संख्या दोगुनी से भी अधिक रहने की संभावना है। महोत्सव में दूर-दूर से संतों का आगमन जारी श्रीसीताराम विवाह महोत्सव के दीदार को धीरे धीरे संतों का आगमन जारी है। दरभंगा से दिगंबर झा, बेंगलुरु से अशोकजी, टाटानगर से सुरेंद्र झा, वृंदावन से रामदासजी एवं यदु शरण उर्फ बाबू बाबा गोवर्धन पहुंच चुके हैं। वहीं, अयोध्या से लक्ष्मण किलाधीश श्री मैथली शरण जी महाराज रविवार को तथा वृंदावन से मलुक पीठाधीश्वर जगद्गुरु देवाचार्य जी महाराज शनिवार को पधार रहे। आश्रम के महंत राजाराम शरण जी महाराज ने बताया कि संतों का समागम जारी है। पुष्प वाटिका कार्यक्रम तक श्रीशंकराचार्य समेत अन्य कई विद्वतजनों के आगमन की संभावना बनी हुई है। इंसेट.., दिव्य दंपती की आरती उतारू हे सखी.. शुक्रवार की सुबह गोपाल भक्त लीला से प्रभु श्रीकृष्ण के जीवन काल के कृत्य का अवलोकन अभिनय के माध्यम से कराया जाता है। इसकी शुरुआत '' दिव्य दंपती की आरती उतारू हे सखी. के मंगलाचरण पद गायन द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की सखियों द्वारा आरती से की जाती है। जहां पर लीला प्रसंग के माध्यम से दिखाया जाता है कि गोपाल नाम का किसान संतो के पास सत्संग सुनने जाता है। फिर, किसान के मन में विचार आता है कि सत्संग के बिना जीवन अधूरा है और वह संतों की सेवा में उतर जाता है। संत उन्हें गौ सेवा का कार्य सौंपते हैं। इस क्रम में भगवान उन्हें प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देते हैं। भगवान की इस झांकी को देखकर मौजूद दर्शक भी मुक्त हो जाते हैं। इंसेट. भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी..

रात्त में रामलीला की भूमिका में व्यास आचार्य ने कहा कि योग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल, चर अरु अचर हर्ष जुत राम जनम सुख मूल., अर्थात जब भगवान का जन्म हुआ तो योग लग्न गृह वार और तिथि सभी अनुकूल हो गए, जड़ और चेतन सभी खुशी से भर गए, क्योंकि भगवान श्री राम का जन्म सुख का आधार है।

इधर, राम जन्म को दर्शक श्रद्धालु सभी मुदित थे कि '' भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी. के पदगायन के साथ लीला मंचन का दौर शुरू हो जाते है। जिसमें दिखाया जाता है कि अयोध्या में महाराजा दशरथ के यहां श्री राम अपने अंशों सहित अवतरित होते हैं। फिर गुरु वशिष्ठ द्वारा चारों भाइयों का नामकरण संस्कार होता है। इस क्रम में व्यासपीठ पर आसीन आचार्य के मात्रिक छंद को सुनकर श्रद्धालु खुशी से झूमने लगते हैं और पूरा लीला परिसर जय श्री राम, जय श्री राम के जयकारे से गुंजायमान हो जाता है।

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