विरानी की दौर से गुजरे शहर की धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी फिजा
बक्सर एक समय वह था जब लॉकडाउन की वजह से शहर की सड़कों पर विरानी छाई हुई थी जैस
बक्सर : एक समय वह था जब लॉकडाउन की वजह से शहर की सड़कों पर विरानी छाई हुई थी जैसे कि कर्फ्यू लगा हो। लेकिन, अनलॉक-1 के बाद से धीरे-धीरे शहर की रौनक फिर से वापस लौटनी शुरू हो गई है। वाहनों की हॉर्न की गूंज तो कभी थमने का नाम ही नहीं ले रहे। जबकि, ग्रामीण अंचलों से जिला मुख्यालय की मंडी में मुसाफिरों का आना अभी कम बना हुआ है।
इसकी तस्दीक बसों पर आने वाली सवारी से भी हो रही है। जो बसें अपनी दैनिक रूटीन में सवारियों से भर कर आती थीं उनमें सवारियां अभी उस माफिक नहीं दिख रहीं। परंतु, कोविड-19 नियमों का अनुपालन गिने-चुने यात्री ही सफर में करते दिख रहे हैं। जो कर रहे है उनमें भी नाक के ऊपर मास्क भले ही चढ़े न रह रहे हो पर कानों में अटकाए जरूर रह रहे हैं। इस दौरान नियमों का अनुपालन कराने में प्रशासन की कड़ी भले ही कमजोर साबित हो रही है। परंतु, खुद की सेहत के लिए अपने को भी तत्पर रहना होगा।
खुलेगी दुकानें तो दो पैसे की जरूर होगी आमद
लॉकडाउन के कारण बाजार नहीं खुलने से व्यवसायिक कारोबार (दवा, रसद को छोड़कर) पूरी तरह से ठप पड़ गया था। लेकिन, कारोबार पर लगी रोक हटने के बाद से बाजार की रौनक पुन: लौटने लगी है। व्यवसायी डीसी गुप्ता, वृंदा प्रसाद, आनंद खेतान, अनिल गुप्ता, सुमंत केसरी आदि ने कहा कि यह अलग बात है कि लॉकडाउन के कारण लगन की कमाई मारी गई और दुकानें खुलीं तो मानसून सिर पर सवार हो गया। परंतु, दुकानें खुलेंगी तो दो पैसे की आमद होनी ही है। वैसे यहां बता दें कि वैवाहिक लग्न मुहूर्त 16 जुलाई तक है।
सुरक्षा के प्रति व्यवसायिक समेत सभी लापरवाह
कोरोना की बीमारी किस प्रकार से घातक है कम से कम जिलेवासी इस बात को तो भली-भांति समझते ही होंगे। कोरोना केस एक-दूसरे के संपर्क में आने से कैसे एक से दो, दो से चार और हजार से पार बढ़ते चला गया। उसी में जिले के 123 लोग हाथ से जान गंवा बैठे। जबकि, अमल करें तो व्यवसाय एक-दूसरे के संपर्क के बिना सम्भव नहीं है। इस कारण और भी उचित हो जाता है कि व्यवसायी इसके प्रति सतर्कता बरतें। परन्तु, बहुतेरे व्यवसायी ऐसे हैं जो इसके प्रति लापरवाह बने हुए हैं। न तो इनके द्वारा मास्क का प्रयोग किया जा रहा है और न ही हैंडवॉश, सैनिटाइजर आदि उपयोग हेतु रखे हुए हैं।