पहले से दागी रहा है नियोजन फर्जीवाड़ा का किगपिन सुशील

बक्सर जिला शिक्षा पदाधिकारी की जांच में पकड़े गए फर्जी अभ्यर्थी ने जिस सुशील के माध्यम से सेटि

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 10:13 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 10:13 PM (IST)
पहले से दागी रहा है नियोजन फर्जीवाड़ा का किगपिन सुशील
पहले से दागी रहा है नियोजन फर्जीवाड़ा का किगपिन सुशील

बक्सर : जिला शिक्षा पदाधिकारी की जांच में पकड़े गए फर्जी अभ्यर्थी ने जिस सुशील के माध्यम से सेटिग की बात की है, जिले के डुमरांव स्थित नया भोजपुर का वह सुशील नियोजन फर्जीवाड़ा का किगपिन है। फर्जी सर्टिफिकेट के माध्यम से उसने अपने भाई समेत सैकड़ों लोगों की बहाली कराई है और करोड़ों की संपति अर्जित की है। मजे की बात यह है कि उसके फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाल शिक्षक जिले में मजे से नौकरी कर रहे हैं।

जिला शिक्षा पदाधिकारी अमर भूषण कहते हैं, जांच के दौरान पकड़े गए फर्जी शिक्षक ने सुशील का नाम लिया है तो पुलिसिया जांच में सबकुछ सामने आ ही जाएगा। विभागीय सूत्रों की मानें तो नया भोजपुर के अंबेडकर नगर प्राथमिक विद्यालय का शिक्षक वर्तमान में प्रभारी प्रधानाध्यापक सुशील फर्जी सर्टिफिकेट के खेल का नया खिलाड़ी नहीं है। वह पहले से इस तरह की करामात करते आ रहा है। सूत्रों की मानें तो फर्जीवाड़ा के इस खेल से उसने लाखों की अकूत संपत्ति अर्जित की है। फर्जी सर्टिफिकेट के खेल में उसके शामिल होने की बानगी डुमरांव के टेक्सटाइल्स कालोनी में बने उसके आलीशान बंगले से होती है। यही नहीं, सूत्र यहां तक बताते हैं कि उसने बड़े पैमाने पर जमीन की खरीदारी भी की है। अगर उसकी अर्जित संपत्ति की जांच हो जाए तो शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हो सकता है। अहम सवाल यह कि इस गिरोह का संचालन क्या वह अकेले करता है या उसके साथ उसके शागिर्द भी शामिल हैं। और तो और उसका नेटवर्क अगर जिले के बाहर भी फैला हुआ हो तो सोचा जा सकता है उसने अवैध रूप से कितने लोगों को नौकरी दी है और मेरिट वालों का भविष्य बर्बाद किया है। अब जब उसका नाम सामने आ गया है तो देखने वाली बात यह होगी कि पुलिस इस मामले क्या करती है।

2013-14 में हुई बहाली में भी सुशील ने बेचे थे लाखों के सर्टिफिकेट

फर्जी सर्टिफिकेट के माध्यम से लोगों को नौकरी देने वाला नियोजन फर्जीवाड़ा का किगपिन सुशील इससे पहले वर्ष 2013-14 में हुई बहाली में भी लंबा हाथ मारा था। सूत्रों की मानें तो तब भी उसने लाखों रुपये के सर्टिफिकेट बेचे थे और फर्जी टीईटी प्रमाणपत्रों के माध्यम से भारी संख्या में लोगों को नौकरी दिलाई थी। या यूं कहें कि उसी समय से वह इस खेल में शामिल हुआ है। ऐसे में समझा जा सकता है कि इस बार उसने कितनों से सौदा किया होगा। बताया जाता है कि उन फर्जी सर्टिफिकेट पर केवल जिले में ही 400 से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं।

..तो क्या नियोजन इकाई से सेटिग कर कार्य करता था सुशील

इस बार ब्रह्मापुर नियोजन इकाई में फर्जी रूप से चयनित विनय कुमार उर्फ धीरेन्द्र प्रताप ने जिस तरह से सुशील के बारे में खुलासा किया है और डीईओ के समक्ष यह बताया कि सुशील ने उसे नियोजन इकाई में जाकर संपर्क करने के लिए कहा था और उसके बाद उसका काम हो गया, से यही लगता है कि सुशील की सेटिग नियोजन इकाई से होती थी। वह जो सौदा करता था उसमें नियोजन इकाई भी हिस्सा रहता होगा।

2018 में एमडीएम का चावल बेचने में भी पकड़ा गया था, हुई थी प्राथमिकी

सूत्रों की मानें तो वर्ष 2018 में मध्याह्न भोजन योजना का चावल के बेचने के दौरान भी वह डुमरांव में पकड़ा गया था। तब उस पर प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी। हालांकि, बताया जाता है कि बाद में पुलिसिया जांच में वह पाक-साफ हो गया और उस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने उसे क्लीन चिट दे दी।

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