सर्वे में हर गांव में मिल रहे सर्दी-खांसी के मरीज, पर नहीं हो रही कोरोना की पुष्टि

बक्सर जिलाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर इन दिनों जिले की विभिन्न पंचायतों के अंतर्गत विभिन्न ग

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 04:55 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 04:55 PM (IST)
सर्वे में हर गांव में मिल रहे सर्दी-खांसी के मरीज, पर नहीं हो रही कोरोना की पुष्टि
सर्वे में हर गांव में मिल रहे सर्दी-खांसी के मरीज, पर नहीं हो रही कोरोना की पुष्टि

बक्सर : जिलाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर इन दिनों जिले की विभिन्न पंचायतों के अंतर्गत विभिन्न गांवों का सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे में संबंधित गांव में सर्दी-खांसी और बुखार वाले मरीजों की पहचान की जा रही है, उनकी लाइन लिस्टिग बनाई जा रही है और उसके बाद उसे संबंधित विभाग को सुपुर्द किया जा रहा है। इस काम में आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिकाओं को लगाया गया है।

सूत्र बताते हैं कि सर्वे के दौरान हर गांव में सर्दी-खांसी के मरीज मिल रहे हैं। हालांकि, वे कोरोना के मरीज हैं या उनमें सामान्य सर्दी-खांसी या वायरल बुखार है इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही है। असल में, बताया जाता है कि गांवों में सर्वे का काम तो किया जा रहा है लेकिन, सर्वे के दौरान जिन लोगों में कोरोना के लक्षण पाए जा रहे हैं उनकी जांच नहीं कराई जा रही है जबकि, शुरुआती दौर में ऐसे मरीजों की कोरोना जांच कराने की बात कही गई थी। बताया जाता है कि इस परिस्थिति में गांवों में संक्रमण का दायरा बढ़ रहा है। खास बात यह कि अगर इस पर अभी से नियंत्रण का प्रयास नहीं किया गया तो स्थिति बिगड़ सकती है। वैसे भी जिलाधिकारी हों या प्रधानमंत्री इनका भी मानना है कि संक्रमण का दायरा अब गांवों की ओर बढ़ रहा है और उस पर नियंत्रण करना ज्यादा जरूरी है। जानकार संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए गांवों में जांच की संख्या बढ़ान की मांग कर रहे हैं। प्रशासन ने बनाई है तीन दिवसीय इलाज की रणनीति

दरअसल, जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे कोरोना के सामान्य लक्षण वाले मरीजों के तीन दिवसीय इलाज की रणनीति बनाई है। जिला कार्यक्रम प्रबंधक संतोष कुमार ने बताया कि सर्वे में सामने आए इन मरीजों को आशा के माध्यम से तीन दिनों की दवाई प्रदान की जा रही है। यही नहीं, आशा के माध्यम से उन्हें यह संदेश दिया जा रहा है कि अगर तीन दिनों में वे ठीक हो गए तो तब तो ठीक है अन्यथा उन्हें अपनी जांच कराने के लिए कहा जा रहा है। हालांकि, ग्रामीण सूत्रों की मानें तो सर्दी-खांसी या बुखार के लक्षण वाले मरीजों को कहीं कोई दवा नहीं दी जा रही है।

लॉकडाउन में गांव से प्रखंड मुख्यालय जांच कराने नहीं पा रहे पीड़ित

पिछले दिनों जन प्रतिनिधि एवं जिले के सम्मानित नागरिकों के नाम की गई अपील में जिलाधिकारी अमन समीर ने भी यह माना है कि आज के परि²श्य में शहर में जहां 40 फीसद कोरोना के मरीज हैं वहीं, गांवों में इनकी संख्या 60 फीसदी हो गई है। इस परिस्थिति उनका ज्यादा से ज्यादा जांच कराना निहायत ही जरूरी हो गया है। जबकि, लॉकडाउन में ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। लॉक डाउन के कारण मरीज प्रखंड मुख्यालय में जांच के लिए पहुंच नहीं पा रहे हैं और घर बैठे संक्रमण को और बढ़ा रहे हैं।

एपीएचसी पहले से बंद, पीएचसी में कम हुए चिकित्सक

कोरोना की बढ़ती महामारी के बीच सरकार ने एपीएचसी को तो पहले ही बंद कर वहां पर प्रतिनियुक्त चिकित्सकों को कोविड के इलाज में लगा दिया इधर, पीएचसी में तैनात चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति भी कोविड संक्रमण के इलाज के लिए कोविड अस्पतालों में कर दिया गया। अभी आलम यह है कि एक-दो चिकित्सकों के भरोसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था रह गई है। ऐसे में पीएचसी पर मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा का लाभ भी नहीं प्राप्त हो रहा है। लिहाजा, गांवों में संक्रमण का ग्राफ बढ़ रहा है।

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