रहमतुल्लाह अल्लैह की दर पर बनाया श्रीराम का प्रसाद

बक्सर पंचकोसी महोत्सव में रविवार को रहमतुल्लाह अल्लैह की दर पर श्री राम का प्रसाद लिट्टी-च

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 08:01 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 08:01 PM (IST)
रहमतुल्लाह अल्लैह की दर पर बनाया श्रीराम का प्रसाद
रहमतुल्लाह अल्लैह की दर पर बनाया श्रीराम का प्रसाद

बक्सर : पंचकोसी महोत्सव में रविवार को रहमतुल्लाह अल्लैह की दर पर श्री राम का प्रसाद लिट्टी-चोखा आस्था के समंदर में आपसी सौहार्द और प्रेम की गाथा बयां कर रहा था। दरअसल, किला मैदान के आस-पास सबसे अधिक भीड़ थी। इस कारण श्रीराम को नमन करने आए श्रद्धालुओं ने एकांत जगह देखकर दरिया शहीद बाबा के मजार के प्रांगण में भी डेरा डाल लिया और श्रद्धा और विश्वास के साथ लिट्टी-चोखा का प्रसाद बनाए और ग्रहण किए।

मेले में लोगों के पहुंचने का क्रम तड़के से ही जारी था। श्रद्धालुओं से किला मैदान के अलावा नाथ बाबा घाट, रानी घाट, बुढ़वा घाट समेत सुमेश्वरनाथ घाट, सिपाही घाट आदि स्थलों के आसपास भी भक्तजन लिट्टी की सिकाई कर रहे थे। इस दौरान व्यंजन में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों के लिए दर्जनों अस्थाई दुकानें भी खुली हुई थीं। मेले में खाने-पीने के सामानों के अलावा श्रृंगार प्रसाधन और खिलौने भी बिक रहे थे। मौके पर बैलून बेच रहा मो. सागीर बता रहा था कि गत वर्ष कोरोना संक्रमण को लेकर मेला में कम लोग थे। परंतु इस बार श्रद्धालुओं की जुटी भीड़ काफी अधिक है। यही बात ठेला पर सब्जियां बेच रहा सोनू बता रहा था कि पिछले साल काफी समान बच गया था पर अबकी बार मेला में दम है।

हालांकि, मेले में सबसे अधिक संख्या महिलाओं की दिख रही थी। दरिया बाबा के मजार परिसर में लिट्टी सेंक रही कोपवां की मनसा देवी व बिमला देवी का कहना था कि यहां एकांत जगह देखकर वे लोग आ गए। वे बता रही थीं कि इस उत्सव में बिहटा और फतुहा से भी उनके रिश्तेदार पहुंचे हुए हैं, जो एक दिन पहले ही यहां आ गए थे। वहीं, कुदरा से आए मंतोष सिंह ने बताया कि विगत कई वर्षों से वो इस मेले में लगातार परिवार के साथ शिरकत करते आ रहे हैं और यहां आकर लिट्टी बनाना और मैदान में सबके साथ मिलकर खाने का आनंद ही अलग होता है। गाजीपुर के मैनेजर सिंह, रसड़ा के त्रिभुवन शर्मा, बलिया के माधव सिंह आदि ने कहा कि ट्रेन से उतर कर इस रास्ते से आनाजाना बराबर लगा रहता है। सो इस मेला का काफी नाम सुना था और जितना सुना था उससे बढ़कर पाया है। धन्य हैं इस विश्वामित्र भूमि के लोग जिन्हें ऐसे आयोजनों में बराबर शिरकत करने का मौका मिलता है।

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