मेहमान पक्षियों के लिए गंगा के छाजन में बनेगा अभयारण्य
बक्सर जिले के ब्रह़मपुर प्रखंड में गंगा का छाजन गोकुल जलाशय ठंड के मौसम में मेहमान पक्षिय
बक्सर : जिले के ब्रह़मपुर प्रखंड में गंगा का छाजन गोकुल जलाशय ठंड के मौसम में मेहमान पक्षियों का बसेरा रहता है। सालों भर यहां देशी पक्षी भी पानी में अठखेलियां करते नजर आते हैं। बहुत जल्द यह क्षेत्र मेहमान पक्षियों का अभयारण्य के रूप में विकसित होने वाला है। जिला प्रशासन ने पक्षी अभयारण्य बनाए जाने को लेकर कवायद शुरू कर दी है। पक्षियों को सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करने के लिए प्रखंड के चकनी मौजा अंतर्गत गंगा का छाजन क्षेत्र के रूप में 69.71 एकड़ जमीन का चयन किया गया है।
ब्रह्मपुर अंचल की ओर से अभयारण्य के लिए खाता संख्या 511 और खेसरा संख्या 1522 में उपलब्ध जमीन का ब्यौरा भूमि सुधार उपसमाहर्ता देवेन्द्र प्रताप शाही को उपलब्ध कराया गया है। छानबीन के बाद भूमि सुधार उपसमाहर्ता द्वारा जिलाधिकारी को जमीन के संदर्भ में अपना प्रतिवेदन भेज दिया है। ब्रहपुर एवं चक्की अंचल क्षेत्र के बीच गंगा नदी के तटवर्ती इलाकों में विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का आना-जाना बना रहता है। खास तौर पर ठंड के मौसम में साइबेरियन पक्षियों के झुंड यहां निवास करने आते हैं। गर्मी का मौसम शुरू होते ही अतिथि पक्षी यहां से चले जाते हैं, लेकिन देशी पक्षियों का निवास बना रहता है। कोई अभयारण्य नहीं रहने से वन विभाग की ओर से इनकी कोई देखरेख नहीं होती। इसकी वजह से कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी यहां शिकार की भेंट चढ़ रहे हैं। इस इलाके में दिखने वाले दुर्लभ पक्षियों में बगेरी का नाम खास तौर लिया जाता है। हालांकि, शिकार होने के कारण उनकी संख्या तेजी से कम हो रही है। ब्रहपुर के पर्यावरण विद् नागेन्द्र सिंह ने बताया कि पेड़ो पर विराजमान पक्षियों के कोलाहल से क्षेत्र के लोगो को भी अहसास हो जाता है कि मेहमान पक्षियों का आगमन हो चुका है। उनका कहना है कि यहां पक्षियों के लिए अभयारण्य बनने से देशी और विदेशी प्रजातियों के पक्षियों को सहेजने में मदद मिलेगी और क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाएं भी जगेंगी।
नावानगर में काले हिरणों के लिए संरक्षित क्षेत्र का प्रस्ताव
बक्सर के सांसद अश्विनी कुमार चौबे के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के राज्य मंत्री बनने के बाद जिले में वन्य जीव से जुड़े प्रस्तावों में तेजी आई है। जिलाधिकारी अमन समीर खुद वन एवं पर्यावरण से जुड़े प्रस्तावों में दिलचस्पी ले रहे हैं। पिछले दिनों नावानगर में हरियाण फार्म के पास काले हिरणों के लिए लगभग 25 एकड़ जमीन पर संरक्षित क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव वन मंत्रालय को भेजा गया है। जिले में काले हिरण भी काफी संख्या में हैं, लेकिन इनके लिए कोई संरक्षित क्षेत्र नहीं है। पर्यावरणविद् मानते हैं कि पक्षियों के लिए अभयारण्य और हिरणों के लिए संरक्षित क्षेत्र बनने से विलुप्त होते वन्य जीवों को सुरक्षा प्रदान किया जा सकेगा।