इस रामलीला मंडली का हर पात्र है मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम

बक्सर रामायण में जहां धर्म और सत्य के प्रतीक श्रीराम थे वहीं बुराई के प्रतीक रावण। बक्सर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 09:52 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 09:52 PM (IST)
इस रामलीला मंडली का हर पात्र है मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम
इस रामलीला मंडली का हर पात्र है मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम

बक्सर : रामायण में जहां धर्म और सत्य के प्रतीक श्रीराम थे, वहीं बुराई के प्रतीक रावण। बक्सर के किला मैदान में चल रही रामलीला में कलाकारों के नजरिए से रामायण का दूसरा ही रूप मिलेगा, यहां कलाकार जब रामलीला के मंच पर उतरता है तो सभी के मन में श्रीराम ही बसते हैं। यहां तक कि किसी भी कलाकार को किसी भी पात्र के निभाने की जिम्मेदारी दे दी जाती है तो वह उस पात्र को बड़ी शिद्दत के साथ निभाता है।

बक्सर के किला मैदान में रामलीला का मंचन करने आए बृजवासी रामलीला मंडली के सदस्य रामायण के हर पात्र की भूमिका निभाने की काबिलियत रखते हैं। इस मंडली का हर कलाकार श्रीराम भी है और भगवान श्रीकृष्ण भी। जरूरत पड़ने पर हिरण्यकश्यप की भूमिका भी निभा लेता है और रावण की भी। हालांकि, कलाकार चाहे जिस पात्र की भूमिका में हों, खुद को पूरी तरह से उसी व्यक्तित्व में ढाल लेता है। श्री रामलीला समिति के सौजन्य से वृंदावन की रामलीला मंडली (श्री नंद-नंदन लीला संस्थान) द्वारा गत 07 तारीख से रामलीला एवं कृष्णलीला का जीवंत मंचन किया जा रहा है। इस मंडली में कुल 19 कलाकार हैं। जो वाद्ययंत्र के साथ विभिन्न पात्र की भूमिका में भी कभी-कभी खड़े नजर आते हैं। जब कभी मंच पर बालक दास जी शर्मा हास्य की भूमिका निभाते नजर आते हैं तो दर्शकों का ठहाका रुकने का नाम ही लेता। नारद, कैकई, कौशल्या की भूमिका में रमेश जी बृजवासी हों या कृष्ण की भूमिका में छोटू जी और लक्ष्मण की भूमिका में सियाराम जी तथा राम की भूमिका में नारायण जी शर्मा एवं सीता व राधा की भूमिका में गुड्डन शर्मा, कला की निपुणता तो कोई इनसे सीखे। व्यासपीठ की गद्दी नवाजे दुलीचंद जी महाराज के मातृछंद तो जैसे पूरी लीला की ही जान हैं।

उम्र कम थी तो बनते थे राम, अब रावण

बक्सर : लीला संस्थान के 42 वर्षीय स्वामी करतार जी कभी बचपन में रामलीला में श्री राम व हनुमान जी तथा रासलीला में बलराम, राधा एवं सखियों की भूमिका बखूबी निभाते थे। परन्तु, उम्र बढ़ी तो कला का रूप भी बदल गया। अब वे रावण, हिरण्यकश्यप, कंस, विक्रम राणा, दशरथ, बाली आदि की भूमिका निभाते हैं। बतौर करतार जी 30 सालों से वे रामलीला में अभिनय कर रहे हैं। कहते हैं कि कोई भी कला तभी सार्थक है जब कलाकार अपने अभिनय के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हो। उन्होंने बताया कि वृंदावन में लगभग 10 हजार कलाकार हैं और पांच सौ मंडलियां। मंडली का प्रत्येक कलाकार मंच पर रामलीला और रासलीला के सभी पात्रों का अभिनय करने में दक्ष होता है।

chat bot
आपका साथी