स्वयंवर में धनुष तोड़ कर माता सीता को हो गए प्रभु श्री राम

बक्सर किला मैदान में 12 दिवसीय आयोजित विजयादशमी महोत्सव कार्यक्रम में शनिवार की शाम रामलील

By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Oct 2021 09:50 PM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 09:50 PM (IST)
स्वयंवर में धनुष तोड़ कर माता सीता को हो गए प्रभु श्री राम
स्वयंवर में धनुष तोड़ कर माता सीता को हो गए प्रभु श्री राम

बक्सर : किला मैदान में 12 दिवसीय आयोजित विजयादशमी महोत्सव कार्यक्रम में शनिवार की शाम रामलीला प्रसंग के मंचन में धनुष तोड़ कर प्रभु श्रीराम माता सीता के हो गए। लीला मंचन प्रसंग के दौरान वृंदावन से पधारे श्री नंद नंदन लीला संस्थान के स्वामी करतार व्रजवासी के निर्देशन में अहिल्या उद्धार, धनुष यज्ञ, श्रीराम विवाह आदि लीलाओं का ²ष्यांकन किया गया। वहीं रविवार की सुबह श्रीकृष्णलीला में कलियानाग के ²श्य का मंचन किया गया।

इस दौरान रामलीला प्रसंग में दिखाया गया कि प्रभु श्री राम द्वारा बक्सर मार्ग में अहिल्या का उद्धार करने के पश्चात् श्रीराम,लक्ष्मण व गुरु विश्वामित्र जनकपुर पहुंचते हैं और वहां फुलबगिया में पुष्प लेने पहुंचे श्रीराम और माता सीता की पहली मिलन होती है। राजा जनक द्वारा आयोजित स्वयंवर में रावण वाणासुर का संवाद होता है। स्वयंवर में देश देशान्तर के पहुंचे राजा जब शिव का धनुष खण्डन करने में असमर्थ हो जाते है तब जनक जी रोष करते हैं और उनके दोषपूर्ण बात सुनकर श्री लक्ष्मण कोप करते हैं। तब महर्षि विश्वामित्र की आज्ञा लेकर श्री राम धनुष का खंडन कर देते हैं। वहीं सीता जी श्रीराम को वरमाला डालती हैं और चारों तरफ जय श्री राम का उदघोष होने लगता है।

कालीदह लीला देख श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण के लगाए जयकारे

रविवार को दिन में रामलीला मंच पर श्रीकृष्णलीला के दृश्य में कालीदह लीला में दिखाया गया कि कंस द्वारा ब्रज को पत्र भेजकर कालीदह से एक करोड़ नीलकमल के फूल की मांग की जाती है और शर्त रखा गया की पुष्प नहीं भेजने पर कारागृह में डाल दिया जाएगा। साथ ही संदेश में कृष्ण और बलराम को हाथी के पैरों के नीचे कुचल दिए जाने की बात कही जा रही है। नन्द बाबा पत्र पढ़ कर भयभीत हो जाते है। कृष्ण को जब जानकारी होती है तो वह कालीदह सरोवर पर गेंद खेलने जाते है और खेलने के क्रम में गेंद सरोवर में चली जाती है। दामा के कहने पर श्री कृष्ण सरोवर में कुद जाते है तथा नीलकमल पुष्प की रक्षा कर रहे कालिया नाग को नाथकर उपर लाते हैं और एक करोड़ नीलकमल के पुष्प मथुरा कंस के पास पहुंचा दिया जाता है। तब चारों तरफ श्रीकृष्ण की जयकार होने लगती है।

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