बीएड नामांकन से एक बार फिर दूर रह जाएंगे गरीब प्रशिक्षु

बक्सर अनुमंडल के स्थानीय नगर स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के ठीक बगल में अध्यापक शिक्ष्

By JagranEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 05:18 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 05:18 PM (IST)
बीएड नामांकन से एक बार फिर दूर रह जाएंगे गरीब प्रशिक्षु
बीएड नामांकन से एक बार फिर दूर रह जाएंगे गरीब प्रशिक्षु

बक्सर : अनुमंडल के स्थानीय नगर स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के ठीक बगल में अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय (बीएड कालेज) का भवन बनकर तैयार हो चुका है। लेकिन इस बार भी बिहार सरकार के स्तर से नामांकन प्रक्रिया हेतु इस अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय को शामिल नहीं किया गया है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि एनसीटीई के मानक के तहत इस नवनिर्मित भवन को अभी मान्यता प्राप्त नहीं हुई है।

मान्यता प्राप्त होते ही इस भवन में सरकारी स्तर पर बीएड की पढ़ाई प्रारंभ हो जाएगी। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डायट में कुल दस नवनियुक्त व्याख्याता भी पदभार ग्रहण कर चुके है और अध्यापन की पूरी जिम्मेदारी इनके उचित कंधों पर है। अध्यापन प्रारंभ होने से इस जिला एवं आसपास के प्रशिक्षु कम खर्च में ही अधिक ज्ञान की प्राप्ति कर पाएंगे। दरअसल निजी महाविद्यालय अमीर घरानों की शोभा बन चुके हैं। यहां आर्थिक रूप से कमजोर प्रशिक्षु विद्यार्थी चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे है। शैक्षणिक सत्र 2021-23 के जो ऑनलाइन आवेदन भरे जाएंगे नोडल विश्वविद्यालय के रूप में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का चयन राज्य सरकार द्वारा किया गया है। ऑनलाइन आवेदन भरा जाने लगेगा जिसमें प्रशिक्षु पांच महाविद्यालय अपनी इच्छा अनुसार चयन करके दे देंगे। प्राप्तांक और मेरिट के आधार पर उनका चयन उन महाविद्यालयों में से किसी एक में करने का प्रयास नोडल एजेंसी करती है। स्थानीय नगर के शिक्षाविद ब्रह्मा पांडेय, डॉ. मनीष कुमार शशि, डॉ. रमेश सिंह, डॉ शोभा सिंह, प्रोफेसर राजू मोची और प्रो. उषा रानी ने सरकारी महाविद्यालय जल्द खोलने की गुहार सरकार से लगाई है, ताकि गरीब प्रशिक्षु उचित लाभ प्राप्त कर सके। शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार इसी माह में बीएड सत्र 2021-23 के लिए ऑनलाइन आवेदन 332 कॉलेजों के लिए आमंत्रित है जिसमें डुमरांव के सरकारी अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय का नाम शामिल नहीं किया गया है, जो क्षेत्र के गरीब प्रशिक्षु विद्यार्थी के लिए चिता की बात है।

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